July 3, 2024     Select Language
Editor Choice Hindi KT Popular धर्म

यहाँ शादी में जश्न नहीं होता है मातम 

[kodex_post_like_buttons]

कोलकाता टाइम्स :

र धर्म और समुदाय में शादी की अलग-अलग परम्पराएं हैं. ऐसी ही शादी की एक और परंपरा है. जिसके बारे में बहुत की कम लोगों जानते हैं. एक तरह जहां हिन्दू धर्म में लाल साड़ी दुल्हन को उसकी बधाई के मौके पर पहनाई जाती है. जो कि आस्था की दृष्टि से शुभ माना जाता है तो वहीं कुछ लोग दुल्हन को बिदाई पर सफ़ेद साड़ी पहनते हैं. जो कि अशुभ का प्रतीक माना जाता है. दुल्हन को सफ़ेद साड़ी में बिदाई करने की यह प्रथा मध्यप्रदेश के एक गांव में देखने मिलती है.

मध्यप्रदेश के मंडला जिले का भीमडोंगरी गांव में सिर्फ दुल्हन को ही सफ़ेद साड़ी में विदा नहीं किया जाता बल्कि यहाँ पर दूल्हा और दुल्हन दोनों के परिजन व रिश्तेदार भी इस मौके सफ़ेद कपडे पहनकर आते हैं. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक अभी इस मौके पर सफेट पोषक में नज़र आते हैं. यहां मातम और जश्न का एक ही लिबास है. दरअसल इस गांव के लोग गौंडी धर्म का पालन करते हैं और उनकी रीति रिवाज भी थोड़े अलग होते हैं. यह लोग सफ़ेद रंग शांति और पवित्र का प्रतीक मानते हैं.

गौंडी धर्म के लोग आदिवासियों में ही आते हैं पर यह अन्य आदिवासियों के तरह नहीं होते हैं. इनके यहाँ पर इनके गांव में शराब पीना और बनाना पूर्णत प्रतिबंधित रहता है.इन लोगों को शादी और त्यौहार के मौके पर पहनावा देखकर हर कोई मातम का अंदाज़ा लगा सकता है पर यहाँ के लोग ख़ुशी के मौके पर पहनते हैं. वहीं इनकी शादी में वधु पक्ष के घर में सिर्फ चार फेरे होते हैं और बचे तीन फेरे विदाई के बाद वर पक्ष के घर में होते हैं.

Related Posts