सिर्फ तीन बार ही लपेटे, मंगल और शनिवार को जरूर बदलिए कलावा, क्योंकि …
कोलकाता टाइम्स :
कलावा बांधना वैदिक परंपरा का एक अहम हिस्सा है। यह कलाई में बांधा जाता हैं। धार्मिक अस्था का प्रतीक कलावा यज्ञ की शुरुआत में बांधा जाता है। इसके अलावा मांगलिक कार्यक्रमों में भी इसे बांधना अनिवार्य माना जाता है।
रक्षा कवच है कलावा:
हिंदू शास्त्रों के मुताबिक कलावा बांधने से देवताओं की विशेष कृपा मिलती हैं। कलावा किसी भी देवी देवता के नाम का बांधा जा सकता है। यह हमेशा संकटों और विपत्तियों के समय रक्षा कवच बनता है। वहीं कलावा मंगलवार और शनिवार के दिन बदला जाता है।
3 बार ही लपेटें:
मान्यता है कि कलावा केवल 3 बार ही लपेटना चाहिए। पुरुषों को व अविवाहित कन्याओं को हमेशा दाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए। इसके अलावा विवाहित स्त्रियों को बाएं हाथ में बांधना चाहिए। वहीं ध्यान रखें कलावा बांधते समय मुट्ठी बंधी हो और दूसरा हाथ सिर पर होना चाहिए।
यह मंत्र जरूर पढ़ें:
कलावा किसी पुरोहित से बांधना शुभ होता है क्योंकि यह मंत्रों से बांधे जाने पर ज्यादा असर करता है। हालांकि आज बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो अपने हाथ से घर पर भी कलावा बांध लेते हैं। ऐसे में उन्हें कलावा बांधते समय यह मंत्र जरूर पढ़ना चाहिए।
‘येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।’
दो तरह का कलावा:
कलावा 3 धागों वाला और 5 धागों वाला भी होता है। जिसमें 3 धागों वाले में लाल, पीला और हरा होता है। इसे त्रिदेव का कलावा कहते हैं। वहीं 5 धागों वाले कलावे में लाल, पीला हरा, नीला और सफेद रंग का धागा होता है। जिसे पंचदेव कलावा कहते हैं।
वैज्ञानिक कारण भी:
कलावा बांधने से वात, पित्त और कफ का संतुलन बना रहता है। डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हार्टअटैक और लकवा जैसे रोगों से बचाने में मददगार है। इससे नसों में दबाव पड़ता है। पुराने वैद्य इसीलिए हाथ, कमर, गले व पैर के अंगूठे में बंधवाते थे।
सकारात्मक ऊर्जा : कलावा बांधने से व्यक्ति को हर पल शक्तिशाली होने का अहसास होता है। उसे अपने अंदर से सकारात्मक ऊर्जा मिलती रहती है। इतना ही नहीं उसका मन शांत रहता है और भटकाव नहीं होता है। जिससे वह एक सही दिशा में चलता रहता है।