खुला राज : Covid-19 को लेकर 8 साल से झूट बोल रहा चीन
कोलकाता टाइम्स :
कोरोना वायरस को लेकर अमेरिका के दो वैज्ञानिकों ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि उनके हाथ कुछ सबूत लगे हैं, जो यह दर्शाते हैं कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति आठ महीने पहले नहीं बल्कि आठ साल पहले चीन के दक्षिणपश्चिम स्थित युन्नान प्रांत की मोजियांग खदान में हुई थी। उन्होंने बताया कि 2012 में कुछ मजदूरों को चमगादड़ का मल साफ करने के लिए खदान में भेजा गया था। इन मजदूरों ने 14 दिन खदान में बिताए थे, बाद में 6 मजदूर बीमार पड़े थे. इन मरीजों को तेज बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, हाथ-पैर, सिर में दर्द और गले में खराश की शिकायत थी. ये सभी लक्षण आज COVID-19 के हैं।
बीमार हुए मरीजों में से तीन की बाद में कथित रूप से मौत भी हो गई थी। यह सारी जानकारी चीनी चिकित्सक ली जू की मास्टर्स थीसिस का हिस्सा है। थीसिस का अनुवाद और अध्ययन डॉ. जोनाथन लाथम और डॉ. एलिसन विल्सन द्वारा किया गया है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, दुनिया आज जिस कोरोना वायरस से प्रभावित है, वो आठ साल पहले चीन में मिले वायरस का ही घातक रूप है। चीन के वुहान से फैले कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर कई तरह की बातें कही जाती रही हैं। अमेरिका सहित कुछ देशों का दावा है कि वुहान लैब में जानबूझकर वायरस तैयार किया गया। जबकि चीन कहता आया है कि मांस बाजार में सबसे पहले वायरस का पता चला। लेकिन वैज्ञानिकों ने बिल्कुल नई तस्वीर पेश की है।
अमेरिकी वैज्ञानिकों का दावा महामारी को लेकर चीन की भूमिका को फिर कठघरे में खड़ा करता है। चीन कहता आया है कि उसे कोरोना के बारे में पूर्व में कोई जानकारी नहीं थी। जैसे ही उसे वायरस का पता चला, उसने दुनिया के साथ जानकारी साझा की। जबकि वैज्ञानिकों का कहना है कि मजदूरों के सैंपल वुहान लैब भेजे गए थे और वहीं से वायरस लीक हुआ। इससे स्पष्ट होता है कि महामारी बनने से पहले ही कोरोना वायरस चीन के रडार पर आ चुका था।