प्रेतलोक पहुँचने के पीछे यह है गलती
कोलकाता टाइम्स :
इस वर्ष पितृपक्ष की शुरुआत 24 सितम्बर से हो चुकी है. ऐसा कहा जाता है कि श्राद्ध के दिनों में हमारे पूर्वजों की आत्माएं धरती पर आती हैं और हम सब के बीच ही रहते हैं. इस समय पितरों की आत्मा की शांति के लिए और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए लोग श्राद्ध करते हैं जो कि बहुत जरुरी होता है. ऐसा कहा जाता है कि जिन लोगों का श्राद्ध तीन वर्ष तक ना किया हो वो पितृ योनि से प्रेत योनि में चले जाते हैं.
श्राद्ध के समय में ज्यादातर लोगों के मन में डर और घबराहट होती है. कुछ लोग इन सब बातों को बेकार मानते हैं. अगर आप भी उनमे से एक है तो हम आपको बता दें जो भी लोग श्राद्ध नहीं करते हैं उनके पूर्वज धरती पर आकर उन्हें श्राप देते हैं और फिर लौट जाते हैं. परिवार में आने वाली पीढ़ी की कुंडली में पितृ दोष का ये सबसे बड़ा कारण माना जाता है.
ऐसा कहा जाता है कि पितृ दोष सबसे बड़ा दोष होता है और अगर ये दोष एक बार किसी को लग जाता है तो उसके सारे बने-बनाए काम बिगड़ जाते हैं क्योकि उसके सिर पर कभी भी पितरों का आशीर्वाद नहीं रहता है. तो आप भी अगर अपने पितरों का श्राद्ध नहीं करते हैं तो करना शुरू कर दीजिये. यदि आपको अपने पूर्वजों के श्राद्ध की तिथि पंचांग के अनुसार याद नहीं है तो इसमें टेंशन वाली कोई बात नहीं है. आप अपने पितरों का श्राद्ध सर्वपितृ अमावस पर कर सकते हैं.