‘शोले’ में अमिताभ की यह सीक्रेट जान दंग रह जायेंगे
कोलकाता टाइम्स :
1975 में 15 अगस्त को रिलीज हुई ‘शोले’ हिंदी की पहली 70 एमएम फिल्म है। आज भी इस फिल्म के संवाद देश के हर दर्शक को याद हैं। ‘शोले’ में जय की यादगार भूमिका निभा चुके अमिताभ बच्चन ने इस फिल्म से जुड़ी कई यादें साझा कीं। बिग बी ने कहा कि वह खुद गब्बर बनने के ख्वाहिशमंद थे।
गब्बर की भूमिका पहले डैनी साहब को ऑफर हुई थी। अमिताभ बच्चन ने कहा, ‘मैंने और बाकी कलाकारों ने गब्बर की भूमिका निभाने की इच्छा जताई थी, पर रमेश सिप्पी ने आखिर में कहा कि आप जय निभाएंगे। धरम वीरु और संजीव कुमार ठाकुर। डैनी साहब की डेट की इश्यू थी तो सलीम-जावेद ने गब्बर की भूमिका के लिए अमजद खान के नाम की सिफारिश की थी। बहुत से लोगों को उनकी आवाज गब्बर के माकूल नहीं लगी थी, पर बाद में वही आवाज आइकॉनिक हो गई।’
‘शॉर्टी’ बुलाते थे अमजद
लंबे कद के अमिताभ बच्चन और अमजद खान फिल्म की शूट के दौरान अच्छे दोस्त बन गए थे। बकौल अमिताभ बच्चन, ‘वे मुझे प्यार से ‘शॉर्टी’ पुकारते थे। हम दोनों को साथ आता देख तो लोग कहते थे कि देखो लंबाई-चौड़ाई साथ आ रही है।’ अमिताभ ने बताया कि फिल्म के डीओपी द्वारका दिवेचा थे। वे बड़े कड़क इंसान थे। कलाकारों को वैनिटी मिली हुई थी। जब भी शॉट में हमारी बारी आती वे भोंपू बजाकर बुलाते थे।
रामगढ़ के चबूतरे पर सोते थे धरम जी
अमिताभ ने कहा, ‘रमेश सिप्पी जी ने हमें जब बताया कि फिल्म बेंगलुरु में शूट होगी तो हम सब चौंके थे, क्योंकि उन दिनों डाकुओं वाली फिल्म रेगिस्तान, खंडहर या मध्य प्रदेश के चंबल इलाके में बनती थी। बहरहाल उन्होंने वहां पूरा रामगढ़ गांव क्रिएट किया। धरम जी यानी धर्मेद्र तो रामगढ़ के चबूतरे पर भी रात भर सोते रह जाते थे।’
सेंसर बोर्ड के निर्देश पर बदला क्लाइमैक्स
‘शोले’ इमरजेंसी के दौरान रिलीज हुई थी। सेंसर ने निर्णय लिया था कि फिल्म का कोई भी एक्शन सिक्वेंस 90 फुट से ज्यादा नहीं होना चाहिए। दूसरी बात कि कानून को हाथ में नहीं लिया जा सकता। तभी आखिर में गब्बर को पुलिस के हवाले किया गया। पहले रमेश जी ने ठाकुर के कदमों तले गब्बर का सिर कुचलते हुए शूट किया था, पर बाद में क्लाइमैक्स तब्दील किया गया।