अब जलने पर नहीं पड़ेगे फफोले
कोलकाता टाइम्स :
अरबी भी जमीन के भीतर उगाए जाते हैं. इसे कंद वर्ग की वनस्पति कहा जाता है . लोग इसकी जड़ की सब्जी तो बनाकर खाते ही हैं साथ ही अरबी के पत्तों की भी सबजी बनाकर खाई जाती है. गर्मी और वर्षा के मौसम में उगाई जाने वाली अरबी रक्तपित्त को मिटाने वाली, दस्त को रोकने वाली सब्जी है-
1-अगर किसी कीड़े-मकोड़े के काटने से कोई हिस्सा कट गया है, तो कटे हुए हिस्से पर अरबी को छीलकर रगड़ने से राहत मिलती है. किसी तरह का जहर हो तो वो भी असर नहीं कर पाता है.
2-जले हुए स्थान पर अरबी पीसकर लगाने से फफोले नही पड़ते और जलन भी समाप्त हो जाती है.
3-अरबी की जड़ों में विटामिन ए और ई पाया जाता है. इसकी वजह से यह त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाए रखने में मदद करता है. इसमें मौजूद ये सभी विटामिन शरीर की त्वचा को लंबे समय तक सेहतमंद और चमकदार बनाए रखते है. एंटीऑक्सीडेंट्स की वजह से यह त्वचा के लिए बेहद फायदेमंद होता है.
4-बड़ी इलायची, काली मिर्च, काला जीरा, अदरक आदि से तैयार अरबी की सब्जी कुछ दिनों तक नियमित सेवन करने रहने से खून की कमी व अन्य हृदय रोग जाते रहते है.
उबली हुई अरबी को खाने से पुराने समय से चली आ रही खांसी में भी बेहद आराम मिलता है। कई इलाकों में आदिवासी इसे शहद में मिलाकर लेने की सलाह देते हैं.