July 3, 2024     Select Language
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चीन में पड़े खाने को लाले, ढूंढ रहा दूसरे देशों की उपजाऊं जमीन

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कोलकाता टाइम्स :

दूसरों की जमीं हथियाने की फिरफ में लगे चीन की खुद की जमीं काम पड़ने लगे ही कि जिमें वह खाद्य पैदा कर सके। इन दिनों वह बड़े खाद्य संकट के दौर से गुजर रहा है। अर्थशास्त्रियों के मुताबिक बीते कुछ वर्षों में चीन लगातार दुनिया भर के कई देशों के साथ किए गए खाद्यान्न सौदों को रद्द कर रहा है। अधिकांश सौदों में बड़े पैमाने पर खाद्य पदार्थों का आदान-प्रदान शामिल है। चीन ने बाकायदा इन सौदों के लिए एग्रीमेंट किये थे लेकिन अब चीन इन सौदों को रद्द कर रहा है, इससे माना जा रहा है कि चीन एक बड़े खाद्य संकट से गुजर रहा है। वहीं चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग बॉर्डर पर तनाव के जरिए लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं।

इस साल जुलाई में चीन की खाद्य मुद्रास्फीति 13.2% बढ़ी है। एक आम चीनी द्वारा आमतौर पर उपभोग किए जाने वाले अधिकांश खाद्य उत्पादों की कम हुई है। इनमें अनाज से लेकर मीट तक शामिल है। राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो खुलासा किया है कि सबसे अधिक खपत वाले मांस, पोर्क की कीमतों में 86% तक की वृद्धि हुई है। चीन दुनिया भर से खाद्य उत्पादों के आयात का सहारा ले रहा है। हालत यह है कि चीन को लगभग सभी प्रमुख खाद्य पदार्थों का आयात करना पड़ रहा है।

चीन के सीमा शुल्क विभाग के अनुसार, देश ने इस वर्ष की पहली छमाही के दौरान अपने अनाज के आयात में 22.7% की वृद्धि की है।  जिससे खाद्यान्न आयात में 74.51 मिलियन टन की वृद्धि हुई है। हालांकि चीन पिछले कुछ वर्षों से सोयाबीन का सबसे बड़ा उत्पादक रहा है फिर भी वह अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी यूएसए से इस साल 40 मिलियन टन सोयाबीन आयात करने की योजना बना रहा है।

हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि चीन अपने सहयोगी पाकिस्तान की उपजाऊ भूमि पर भी नजर गड़ाए हुए है। बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करने के अलावा, अब चीन की निगाह सिंध पर है। चीन द्वारा पाकिस्तानी भूमि का उपयोग करने पर संस्थागत मंजूरी के लिए हाल ही में पाकिस्तान के साथ कृषि सहयोग पर एक समझौता किया है।

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