सावधान : कहीं ज्यादा समय किचन में तो नहीं बिताते?
1-अध्ययन के दौरान रसोई में मौजूद गैस स्टोव, खिड़कियों और फ्राइंग एरिया के आसपास मौजूद वातावरण के सैंपल लिए गए. वहीं दूसरी ओर अन्य जगहों जैसे वर्किंग डेस्क और अन्य गतिविधियों वाली जगह के सैंपल भी लिए गए. साथ ही अध्ययन में शामिल सभी लोगों के यूरीन का भी विश्लेषण किया गया.
2-उपरोक्त सभी तथ्यों का विश्लेषण कर जो परिणाम सामने आए हैं, वे वाकई चौकाने वाले हैं. शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन रसोईयों में रोज़ाना महिलाएं या होटलों के रसोईये लगातार घंटों काम करते हैं, वहां इतनी देर तक गैस जलने से तापमान लगभग 30 डिग्री तक पहुंच जाता है, जो कि स्वास्थ्य के लिये अच्छी बात नहीं है.
3-शोध के परिणामों में पाया गया कि इस जगह का पीएम लेवल 71.9 माइक्रॉन क्यूबिक मीटर थ, 2.5 माइक्रॉन आकार वाले तत्व भी रसोई में 81.3 के स्तर पर थे और पीएएच लेवल 3.1 से 17.71 तक था. वहीं शोधकर्ताओं ने रसोई में जो पीएएच पाया गया है, वह स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है. इस पीएएच में नेप्थालीन, फ्लोरीन, एसनाफिथीन, फेनाथिरीन, पायरीन, क्रिसीन और इंडेनो पायरीन जैसे तत्वों की मौजूदगी पाई गई. ये सभी सुरक्षित मानक सीमा से अधिक पाए गए.