November 23, 2024     Select Language
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साल में एक बार खुलता है ये चमत्कारी मंदिर

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कोलकाता टाइम्स :

मारे देश में कई ऐसे मंदिर हैं जिनके रहस्यों से आज तक पर्दा नहीं उठ पाया है और ऐसे भी कुछ मंदिर है जो अपनी चमत्कारी शक्तियों के चलते आस्था का बड़ा केंद्र बने हुए हैं. ऐसे ही एक मंदिर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं जिसके पीछे एक रोचक इतिहास है. इस मंदिर के प्रति लोगों की ऐसी श्रद्धा है कि यहां हर कोई अपने आप भी खींचा चला आता है. हम बात कर रहे हैं कंकाली देवी के मंदिर की जो छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित है.

कंकाली मंदिर का इतिहास काफी पुराना और अलग है. इस मंदिर का शस्त्रागार साल में केवल एक दिन दशहरे पर ही सुबह खुलता है. शाम होते ही ये शस्त्रागार फिर एक साल के लिए बंद हो जाता है. इस मंदिर में दर्शन के लिए भक्जन बड़ी संख्या में मौजूद रहते हैं और वो देवी मां के साथ-साथ पूरा अस्त्र-शस्त्र के भी दर्शन करते हैं. इसके पीछे भी एक अनोखी कहानी है. दरअसल ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान राम और रावण के बीच युद्ध हो रहा था तब देवी मां मैदान में प्रकट हुईं थीं और श्रीराम के शास्त्रों को सुसज्जित किया था.

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि ये मंदिर शमशान घाट पर बना है. इस मंदिर को नागा साधुओं के तांत्रिक साधना का केंद्र भी माना जाता है. कई सारे नागा साधुओं की समाधि ही इस मंदिर के आसपास है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कंकाली देवी के मंदिर का निर्माण महंत कृपाल गिरि ने किया था. दरअसल महंत कृपाल गिरी कंकाली देवी के बहुत बड़े भक्त थे और ऐसा कहा जाता है कि एक बार देवी ने महंत को दर्शन भी दिए थे लेकिन उन्होंने देवी की उपेक्षा कर दी थी. बाद में जब उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ तो उन्होंने उसी परिसर में जीवित समाधि ले ली. जहां पर कंकाली तालाब है वहां पहले एक शमशान घाट हुआ करता था और डाह संस्कार के बाद शव की हड्डियां तालाब ने ही डाल दी जाती थी. उसी कंकाल से कंकाली तलब्का नामकरण हुआ था.

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