November 23, 2024     Select Language
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नाम के बाद blanks रुला रहा चीन को , 137 करोड़ के पास सिर्फ 100 उपनाम

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कोलकाता टाइम्स :

चीन के लोग काफी लंबे वक्त से सरनेम को लेकर परेशानियां झेल रहे हैं। सुनने में आपको भले ही अजीब लगे कि भला सरनेम से देश में कैसी समस्या पैदा हो सकती है लेकिन यह बिल्कुल सच है। दरअसल, चीन की 137 करोड़ की आबादी में लोगों के एक जैसे सरनेम होने से कई तरह की मुश्किलें आ रही हैं। घनी आबादी वाले इस देश में वांग, ली, झांग, लियू या फिर चेन जैसे सरनेम के अधिक लोग हैं और जब भी आप किसी को इन सरनेम से बुलाते हैं तो दोहराव का अहसास होता है क्योंकि एक जैसे सरनेम होना यहां बेहद कॉमन हो गया है।

चीन के जन सुरक्षा मंत्रालय के डॉक्यूमेंट्स से पता चला है कि देश में करीब 6000 सरनेम ही आपको मिलेंगे लेकिन यहां की 86% आबादी के बीच सिर्फ 100 सरनेम ही लोकप्रिय हैं। दुनिया भर में चीन आबादी में नंबर वन है लेकिन सरनेम यहां दूसरे देशों से काफी कम हैं।  अमेरिका को देखें तो यहां की आबादी चीन के मुकाबले एक चौथाई है लेकिन यहां 2010 की जनगणना में 63 लाख सरनेम प्रचलन में थे।   मिनिस्ट्री ऑफ पब्लिक सिक्योरिटी के मुताबिक, चीन में पहले 23,000 सरनेम प्रचलित थे, जो अब घटकर 6,000 रह गए हैं।  मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में महज चार-पांच सरनेम वालों की कुल आबादी में 30 प्रतिशत हैं।

मामले को लेकर बीजिंग नॉर्मल यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर चेन जियावेई ने चीन में सरनेम की संख्या में कमी आने के पीछे तीन कारण बताए हैं। इनमें पहला कारण है सांस्कृतिक विविधता का अभाव, दूसरा- भाषाई समस्या और डिजिटल युग में तकनीकी समस्या तीसरा कारण है। जियावेई का मानना है कि चीन में नस्ल या समुदायों के हिसाब से विविधता नहीं है।

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