September 29, 2024     Select Language
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खतरनाक ‘खुनी नागा साधु’, मौत पर भी पा लेते हैं जीत

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कोलकाता टाइम्स :

कुंभ मेले में श्रद्धालुओं के साथ-साथ नागा साधुखास आकर्षण का केंद्र होते हैं। आपको बता दें नागा साधु एक नहीं बल्कि कई प्रकार के होते हैं. इनमे खूनी नागा, खिचड़ी नागा और बर्फानी नागा जैसे कई अलग-अलग तरह के साधु होते हैं लेकिन शायद आपने भी पहली बार खूनी नागा बाबा के बारे में सुना होगा?

ये तो सभी को पता है कि नागा साधु बनने की प्रक्रिया किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होती है. हर जगह के अलग-अलग साधु होते हैं लेकिन जो साधु उज्जैन के कुंभ में नागा बनते हैं उन्हें ‘खूनी’ नागा कहा जाता है. ऐसा इसलिए क्योकि खूनी नागा सैनिक की तरह होते हैं और वो अपने धर्म की रक्षा के लिए खून भी बहा सकते हैं. आपको बता दें खूनी नागा हमेशा ही अस्त्र-शस्त्र धारण किए रहते हैं.

आपको बता दें उज्जैन बाबा महाकाल की नगरी है और यहाँ पर हमेशा ही गर्मी के मौसम कुंभ का आयोजन होता है. ऐसा माना जाता है कि गर्मी का सीधा प्रभाव उज्जैन में नागा बनने वाले सभी साधु संन्यासियों के स्वभाव पर भी पड़ता है और इस कारण से उज्जैन में नागा बनने वाले साधु गुस्सैल प्रवृत्ति के होते हैं.

खुनी नागा साधु बनने के लिए व्यक्ति को रात भर ओम नम: शिवाय का जाप करना होता है. फिर इसके बाद अखाड़े के महामंडलेश्वर विजया एक हवन करवाते हैं. हवन के बाद फिर सभी साधु को क्षिप्रा नदी में 108 डुबकियां लगाना पढता है. डुबकी लगाने के बाद उन्हें अखाड़े के ध्वज के नीचे दंडी त्याग करवाया जाता है और तब जाकर वो नागा साधु बनते हैं.

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