February 22, 2025     Select Language
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इसलिए होते हैं इंसानों के दो रंग, अलग अलग रंग का है ये राज़

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कोलकाता टाइम्स :

पने देखा ही होगा दुनिया में दो रंग के लोग होते हैं. किसी का रंग हल्का होता है और किसी का गहरा होता है. इस बारे में आपने भी जाना ही होगा. लेकिन आप ये नहीं जानते होंगे कि इंसान के दो रंग ही क्यों होते हैं. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि ऐसा क्यों है और ऐसा कैसे हो सकता है. अगर आपको लगता है कि सिर्फ भारत में ही गोरे और काले रंग के आधार पर भेद किया जाता है तो आप गलत हैं. अमेरिका जैसे देशों में भी काले रंग के लोगों को हीनता की दृष्टि से देखा जाता है और उन्‍हें बराबरी का दर्जा देने में लोगों को हिचक महसूस होती है. तो आइये जानते हैं रंगों का भेदभाव क्यों होता है.

* मनुष्‍य का रंग उसकी त्‍वचा में उपस्थित एक रंगीन पदार्थ पर निर्भर करता है जिसे पिगमेंट कहा जाता है. जब सूर्य के प्रकाश में उपस्थित पराबैंगनी किरणें हमारे शरीर पर पड़ती हैं तो शरीर के ऊत्तकों द्वारा अधिक काला बनने लगता है.

* शरीर के द्वारा अधिक मेलानिन बनने की वजह से शरीर का रंग काला या गेहुंआ हो जाता है जबकि ठंडे स्‍थानों पर रहने वाले लोगों के शरीर में मेलानिन की मात्रा कम पाई जाती है. इसके फलस्‍वरूप उनकी त्‍वचा का रंग गोरा होता है.

* अफ्रीका जैसे देशों का तापमान बहुत गर्म रहता है इसलिए वहां रहने वाले लोगों का रंग काला रहता है. वहीं अमेरिका जैसे देशों का तापमान बहुत ठंडा रहता है, वहां पर गर्मी बहुत ही कम पड़ती है इसलिए वहां पर रहने वाले लोगों का रंग गोरा रहता है.

* केरल और कर्नाटक आदि जैसे शहरों में बहुत गर्मी पड़ती है और इसलिए वहां के लोगों का रंग काला होता है. भारत में एक ही जैसे रंग के लोग बहुत कम देखने को मिलेंगें.

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