अब English पर भी चीन की नजर, फैसले से मचा बवाल

कोलकाता टाइम्स :
बच्चों को कम्युनिस्ट पार्टी का मानसिक गुलाम बनाने के कोशिशों के बाद अब चीन की सरकार उन्हें अंग्रेजी से भी महरूम करना चाहती है. चीन के स्कूलों में अंग्रेजी को एक तरह से बैन करने की तैयारी चल रही है. राष्ट्रीय सलाहकार समिति के एक सदस्य द्वारा प्राथमिक तथा माध्यमिक स्कूलों में अंग्रेजी को मुख्य विषय से हटाने का प्रस्ताव दिया गया है. हालांकि, इस प्रस्ताव को लेकर बहस भी शुरू हो गई है. अधिकांश लोगों का कहना है कि अंग्रेजी को पाठ्यक्रम से हटाया नहीं जाना चाहिए, क्योंकि इससे अन्य देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता विकसित नहीं होगी.
चीन में सरकार के समर्थन से स्कूलों और कालेजों ने 2001 से अंग्रेजी पढ़ाना अनिवार्य कर दिया है. इस वजह से मंदारिन भाषी देश में अंग्रेजी को महत्व काफी बढ़ गया है और यही अब कम्युनिस्ट सरकार को पसंद नहीं आ रहा है. चीनी लोक राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की राष्ट्रीय समिति (CPCC) के सदस्य शु जिन ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि अंग्रेजी को चीनी और गणित जैसे विषयों की तरह मुख्य विषय के रूप में नहीं पढ़ाना चाहिए. इसके बजाए शारीरिक शिक्षा, संगीत तथा कला जैसे विषयों में छात्रों के कौशल को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए.
शु जिन ने सुझाव दिया है कि राष्ट्रीय कालेज प्रवेश परीक्षा के लिए अंग्रेजी और अन्य विदेशी भाषाओं को अनिवार्य विषय के रूप में शामिल नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि कक्षा के घंटों का दस प्रतिशत अंग्रेजी की पढ़ाई में खर्च होता है और विश्वविद्यालय के दस प्रतिशत से भी कम ग्रेजुएट इसका इस्तेमाल करते हैं, इसलिए अंग्रेजी पर फोकस कम करना जरूरी है.