November 23, 2024     Select Language
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छोटे कद के लोगों के लिए मुसिबत है डायबिटीज

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कोलकाता टाइम्स :
हाल ही में हुए एक अध्‍ययन में ये बात सामने आई है कि छोटे कद वाले लोगों में टाइप 2 डायबिटीज का खतरा ज्‍यादा रहता है। हर 10 सेमी हाइट बढ़ने पर 41 फीसदी पुरुषों और 33 फीसदी महिलाओं में टाइप 2 डायबिटीज का खतरा घट जाता है। ये रिसर्च मेडिकल जरनल डायबेटोलोजिआ में प्रकाशित हो चुकी है।
ऐसा इसलिए होता है क्‍योंकि छोटे कद के लोगों में लिवर फैट की मात्रा ज्‍यादा होती है जिसका संबंध ह्रदय रोग, स्‍ट्रोक और डायबिटीज से होता है। इसके अलावा ये बात भी सामने आई है कि लंबे लोगों में इंसुलिन सेंसिटिविटी और हार्मोन का स्राव करने वाली अग्‍नाशय की विशेष कोशिकाएं बेहतर कार्य करती हैं। इस अध्‍ययन में 40 से 65 साल की उम्र की 16,600 महिलाओं और लगभग 11,000 पुरुषों को शामिल किया गया था। 1994 से 1998 तक जर्मनी के लोगों ने इसमें हिस्‍सा लिया था। इस अध्‍ययन से ये बात पता चलती है कि डायबिटीज के खतरे में कद भी अहम भूमिका निभाता है।
डायबिटीज के मरीजों में ब्‍लड ग्‍लूकोज या ब्‍लड शुगर बहुत ज्‍यादा होता है जो कि उन्‍हें खाने से मिलता है। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन दुनिया में लगभग 420 मिलियन लोग आज डायबिटीज से ग्रस्‍त हैं और वर्ष 2025 तक ये संख्‍या बढ़कर 629 मिलियन पहुंच जाएगी। वर्तमान में इस बीमारी को के दो उप-प्रकार हैं।
टाइप 1 डायबिटीज : इस बीमारी का पता बचपन में ही चल जाता है और इसके लगभग 10 फीसदी मामले सामने आते हैं। इसमें शरीर में ब्‍लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने वाला इंसुलिन नामक हार्मोन नहीं बन पाता है।
टाइप 2 डायबिटीज : इसमें शरीर में पर्याप्‍त मात्रा में इंसुलिन नहीं बन पाता है। इसका मतलब है कि ग्‍लूकोज खून में ही रह जाता है। इस तरह की बीमारी का संबंध मोटापे से होता है और अगर इसे कंट्रोल ना किया जाए तो इसकी वजह से अंधापन, किडनी को नुकसान, ह्रदय रोग या स्‍ट्रोक हो सकता है।

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