दर्दनाक मंजर : कोरोना-मौत की ऐसी बाढ़ कि देश में ही अंतिम संस्कार के लिए जगह के लाले
कोलकाता टाइम्स :
चोरोना की चपेट में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में हालात कुछ ऐसे हो गए हैं कि यहां के श्मशान घाट और कब्रिस्तानों में शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए जगह की कमी पडऩे लगी है। यहां के भदभदा विश्राम घाट को कोविड-19 से मरे लोगों के शव जलाने के लिए निर्धारित किया गया है, लेकिन शुक्रवार को यहां 41 शवों का अंतिम संस्कार किए जाने के बाद आठ शवों को लौटा दिया गया। उन्हें शनिवार की सुबह आने के लिए कहा गया।
उल्लेखनीय है कि भोपाल में ऐसा दर्दनाक मंजर 37 साल के बाद देखने को मिला है। इसके पहले साल 1984 में हुई गैस त्रासदी के दौरान भी यहां के श्मशान घाट और कब्रिस्तान में शवों के अंतिम संस्कार के लिए जगह की कमी पडऩे लगी थी। 2, दिसंबर 1984 की रात को भोपाल में हुए गैस कांड में 10 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। तब भोपाल में विश्राम घाटों में शवों को जलाने के लिए जगह की भारी कमी पड़ गई थी।
भदभदा विश्राम घाट में शुक्रवार की रात नौ बजे तक अंतिम संस्कार के लिए आए 41 में से 29 शव कोरोना से मरने वाले लोगों के थे। इसी तरह सुभाष नगर में 26 दाह संस्कार किए गए, जिनमें से आठ लोगों की मौत कोरोना के कारण हुई थी। इसके अलावा जहांगीराबाद स्थित कब्रिस्तान में पांच लोग सुपुर्दे खाक किए गए।