छोटी सही पर यह ऊँगली खोल देती है लोगों के हर राज

कोलकाता टाइम्स :
सबके हाथों की अंगुलियां अलग-अलग तरह की होती हैं। आकार में या लंबाई-चौड़ाई में, इन अंगुलियों में अंतर देखा जा सकता है। इतना ही नहीं, अंगुलियों में जो भाग बने होते हैं, वे भी सबके हाथों में एक जैसे नहीं होते। भाग अधिक फासले वाले या फिर छोटे गैप वाले भी हो सकते हैं।
छोटी अंगुली के राज
आपने आज तक अंगुलियों की लंबाई और उनके आकार के हिसाब से व्यक्ति का कैसा स्वभाव होता है, इसके बारे में जाना होगा। लेकिन क्या कभी आपने अंगुलियों के बीच बने इन भागों के आधार पर व्यक्तित्व परखने की विधा के बारे में जाना है?
विशेषज्ञों की मानें, तो हर किसी की छोटी अंगुली के ये भाग एक जैसे नहीं होते। ये भाग जो तीन हिस्सों में बंटे हैं, इनमें से कोई एक काफी लंबा होता है तो अन्य दो छोटे होते हैं। कई बार बीच वाला भाग बड़ा होता है तो ऊपर वाला छोटा होता है। इसी को मद्देनजर रखकर आगे जानिए व्यक्ति के व्यक्तित्व के रहस्य….
पहला भाग लंबा हो तो
अगर आपकी छोटी अंगुली पर बने तीन भागों में से सबसे पहले भाग अधिक लंबा है, तो आप लोगों का अधिक आकर्षण पाने वाले इंसान हैं। आपके बात करने के तरीके से लोग बेहद प्रभावित होते हैं। आप खुद भी गहराई से लोगों को परख लेते हैं।
बीच वाला भाग लंबा हो तो
अगर छोटी अंगुली का बीच वाला भाग पहले भाग से और तीसरे भाग से भी लंबा हो, तो ऐसे लोग ‘केयरिंग’ होते हैं। दूसरों का ध्यान ये खुद से भी पहले रखना पसंद करते हैं। ऐसे लोग काफी कम मिलते हैं।
तीसरा भाग काफी छोटा हो तो
अगर किसी की छोटी अंगुली का आखिरी वाला भाग सबसे छोटा है, तो यह उनकी कमी नहीं बल्कि अच्छाई को दर्शाता है। ये लोग सबके प्रति वफादार होते हैं। बातचीत करने में भी अच्छे होते हैं ऐसे लोग।
सभी सेक्शन छोटे हों तो
अगर तीनों भाग छोटे हैं, यानी अंगुली काफी छोटी है तो ऐसे लोग भीड़ में खो जाने वाले होते हैं। इनका आसपास होना या ना होना, एक ही बात है। ये कम पॉप्युलर लोगों की श्रेणी में आते हैं।
बीच वाला भाग छोटा हो तो
लेकिन अगर पहला और आखिरी भाग लंबा है लेकिन छोटी अंगुली के बीच वाला सेक्शन छोटा है, तो ऐसे लोग ढीठ होते हैं। बेहद हठी स्वभाव के होते हैं। इन्हें किसी भी तरह का बदलाव पसंद नहीं आता।
दोनों अंगुलियों की एक जैसी लंबाई
वैसे यह काफी दुर्लभ बात है, क्योंकि कनिष्ठिका अंगुली 99% मामलों में अनामिका अंगुली से लंबाई में छोटी ही होती है। लेकिन कुछ एक-दो मामले ऐसे मिल जाते हैं, जहां ये अंगुली अनामिका अंगुली के बराबर की लंबाई वाली होती है।