सिर्फ कंगाल नहीं महा धनवान भी बना देता है ग्रह
राहु व्यक्ति को शुभ या अशुभ फल अचानक प्रदान करता है। कभी-कभी तो यह इतना अधिक अपेक्षा से हटकर प्रभाव देता है कि व्यक्ति खुद चकित रह जाता है कि उसके जीवन में ऐसा कैसे हो गया। यदि आपके जीवन में अचानक कोई घटना घटे, जिसके बारे में कभी आपने सोचा भी नहीं होगा, तो समझिए वह राहु का किया धरा है। आज हम जानते हैं राहु के कारण कुंडली में बनने वाले कुछ शुभ और अशुभ योगों के बारे में
अष्टलक्ष्मी योग
राहु के कारण बनने वाला यह अत्यंत शुभ योग होता है। जब किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में राहु छठे भाव में हो और केंद्र स्थान (पहले, चौथे, सातवें, दसवें) में से किसी में बृहस्पति हो तो अष्टलक्ष्मी योग बनता है। कुछ विद्वान राहु के छठे और बृहस्पति के केवल दशम स्थान में होने पर अष्टलक्ष्मी योग बनना मानते हैं। यह योग जिस जातक की कुंडली में होता है, वह महा धनवान बनता है। ऐसे व्यक्ति को कभी धन की कमी नहीं रहती। बृहस्पति के प्रभाव से राहु शुभ फल देकर जातक को धनवान बनाता है।
परिभाषा योग
जिस जातक की जन्मकुंडली में लग्न, तीसरे, छठे या ग्यारहवें भाव में राहु हो और उस पर शुभ ग्रहों की दृष्टि पड़ रही हो तो परिभाषा योग बनता है। इस योग के प्रभाव से जातक को पूरे जीवन आर्थिक लाभ होता रहता है। जातक या तो किसी धनी परिवार में जन्म लेता है या फिर अपने कर्म के कारण अत्यंत धनवान बनता है। इस योग में जन्मे व्यक्ति के जीवन में कभी बाधा नहीं आती और कठिन काम भी यह आसानी से पूरे कर लेता है।
लग्नकारक योग
अपने नाम के अनुरूप यह योग लग्न के अनुसार बनता है। जिस जातक का मेष, वृषभ या कर्क लग्न हो और राहु दूसरे, नौवें या दसवें भाव में हो तो लग्नकारक योग बनता है। इस योग को सर्वारिष्ट निवारक योग भी कहा जाता है। इस योग के प्रभाव से जातक को जीवन में कभी बुरी स्थितियों का सामना नहीं करना पड़ता। व्यक्ति धनवान तो होता ही है, उसका निजी जीवन भी अत्यंत सुखमय होता है।
चांडाल योग
जन्मकुंडली के किसी भी घर में राहु और गुरु साथ में बैठे हों तो चांडाल योग बनता है। यह राहु और गुरु की युति से बनने वाला अत्यंत चर्चित योग है। इस योग के परिणामस्वरू जातक महापाखंडी, नास्तिक और लोगों को धर्म मार्ग से भटकाने वाला होता है। यह जातक की बुद्धि को भ्रमित कर देता है। उसे अच्छे-बुरे सब एक समान दिखाई देते हैं। यह जातक जीवनभर पैसों की कमी से जूझता है। अपने कुकर्मों के कारण जातक जेल यात्रा तक कर आता है।
कपट योग
यह योग शनि और राहु के कारण बनता है। इसकी दो स्थितियां बताई जाती है। जब शनि चौथे घर में और राहु बारहवें घर में हो, या श्ानि छठे घर में और राहु ग्यारहवें घर में हो तो कपट योग बनता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में यह योग होता है उस पर कभी भी भरोसा नहीं करना चाहिए। ऐसा व्यक्ति अपने मतलब के लिए दूसरों के साथ कुछ भी कर सकता है। यानी यह महा कपटी होता है। ऐसे व्यक्ति को सर्वत्र अपमान का सामना करना पड़ता है।
राहु के कारण अनेक योग
राहु के कारण अनेक योग बनते हैं, जिनका प्रभाव अलग-अलग होता है। जैसे क्रोध योग, पिशाचबाधा योग, ग्रहण योग, सर्प शाप योग, अरिष्टभंग योग, पयालू योग आदि।