July 3, 2024     Select Language
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कोरोना के आगे छोटा खून का रिश्ता, शव को सड़कों-श्मशान में छोड़कर जा रहे अपने 

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कोलकाता टाइम्स :

कोरोना काल में खून के रिश्ते छोटे पड़ रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में कोरोना से होने वाली मौतों के चलते लोग अपने परिजनों के शवों को सड़कों, अस्पतालों और श्मशान में बिना अंतिम क्रिया के छोड़ कर जा रहे हैं। ऐसे में मृतकों की अंतिम क्रिया के लिए अपने उपलब्ध न हो पाने पर पुलिस और अन्य लोग मदद के लिए आ रहे हैं। पिछले कई दिनों से दिल्ली में लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जिसमें पुलिस और एनजीओ में कार्यरत लोगों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। कोरोना काल में रिश्ते ऐसे टूटें की आवाज से कान बहरा हो जाये।  कुछ ऐसे दिल तोड़ने वाले मामले सामने ए जिससे रिश्तों पर से  जाये।

कड़कड़डूमा के डॉ. हेडगेवार आरोग्य अस्पताल एक  बेटी अपने मरते पिता को अस्पताल में छोड़ गई वह भी गलत पता लिखवाकर।  नई दिल्ली के पुरानी सीमापुरी स्थित श्मशान घाट शवों की भीड़ देख अपने सड़क पर छोड़ कर भागे परिजन।  पंडित मदन मोहन मालवीय अस्पताल में अस्पताल में 35 साल की महिला को भर्ती कर परिजन गायब हो गए।  महिला की मौत के बाद जब पुलिस लिखवाये पते पर पहुंची तो पता चला की परिजनों ने गलत पता लिखवा था।

वहीं बुराड़ी में एक बुजुर्ग दंपति की मौत के बाद 15 घंटे तक शव घर में पड़ा रहा। मृतक दंपति का बेटा, उसकी पत्नी और चार वर्ष का बेटा भी संक्रमित है। उन्होंने रिश्तेदारों से माता-पिता का अंतिम संस्कार करवाने की पेशकश की तो सभी भाग खड़े हुए।

गोकुलपुरी इलाके में एक युवक सोनू की मौत बुखार से हुई है। पुलिस ने सोनू के शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल पहुंचाया। लेकिन इस दौरान उसके परिजनों ने अस्पताल चलने और शव को हाथ लगाने से साफ मना कर दिया। परिजनों में सोनू की मां, पत्नी और उसके भाई शव लेने से किया मना।

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