November 23, 2024     Select Language
Editor Choice Hindi KT Popular धर्म

कभी सुना है आत्मा पर भी लगा है टैक्स

[kodex_post_like_buttons]
कोलकाता टाइम्स :

दुनियाभर में टैक्स लगाए जाते हैं. यानि सरकार अपने देश में चीज़ों के अनुसार उन पर टैक्स लगाती है. इसमें शामिल सरकारी योजनाओं पर खर्च की स्वीकृति संसद पर निर्भर करती है. बजट के माध्यम से वित्त मंत्री संसद से टैक्स, ड्यूटीज और ऋण के माध्यम से धन जुटाने की मंजूरी चाहता है. आम बजट से आम जनता पर टैक्स लगता है तो सरकार की जेब में पैसा आता है और उससे देश चलता है. आज हम आपको दुनियाभर के कुछ अनोखे टैक्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके बारे में सुनकर आप भी हैरान रह जायेंगे.

आत्मा पर टैक्स
पीटर द ग्रेट ने 1718 में सोल यानी आत्मा पर भी टैक्स लगाया. यह उन लोगों को देना होता था जो यह यकीन करते थे कि उनके पास आत्मा जैसी कोई चीज है. बच वे भी नहीं सकते थे जो यह यकीन नहीं करते थे. कहते हैं कि उनसे धर्म में आस्था न रखने का टैक्स लिया जाता था. पीटर द ग्रेट ने यह टैक्स इसलिए लगाया था कि इससे रूस की सेना को शक्तिशाली बनाने के लिए जरूरी भारी रकम जुटाई जा सके. वे इन दोनों कामों में सफल रहे.

दाढ़ी पर टैक्स:

1535 में इंग्लैंड के सम्राट हेनरी अष्टम ने दाढ़ी पर टैक्स लगा दिया था. उनकी भी दाढ़ी थी. हालांकि यह पता नहीं चलता कि वे दाढ़ी टैक्स देते थे या नहीं. 1698 में रूस के शासक पीटर द ग्रेट ने भी दाढ़ी पर टैक्स लगाया था. पीटर की इच्छा थी कि रूस का समाज भी यूरोपीय देशों के समाज की तरह आधुनिक हो और लोग नियम से दाढ़ी मुंडवाते रहें. तब रूस में दाढ़ी टैक्स चुकाने वालों को एक टोकन मिलता था, जिसे उन्हें हर समय साथ लेकर चलना पड़ता था. टोकन तांबे या चांदी का होता था और उस पर लिखा होता था कि उस शख्स ने दाढ़ी कर चुका दिया है. कहने की जरूरत नहीं कि कोई दाढ़ी वाला शख्स अगर बिना टोकन मिला तो उसकी शामत आ जाती थी.

खिड़की टैक्स: 
1696 में इंग्लैंड और वेल्स के राजा विलियम तृतीय ने खिड़कियों पर टैक्स लगा दिया. क्यों लगाया, इसकी भी कहानी दिलचस्प है. उस समय राजा के खजाने की हालत खस्ता थी. इसकी हालत सुधारने के लिए पहले इन्कम टैक्स का रास्ता था, लेकिन उन दिनों वहां पर इसका भारी विरोध हो रहा था. इन्कम टैक्स चुकाने के लिए अपनी कमाई सार्वजनिक करना जरूरी था. लोगों का मानना था कि यह उनके मामलों में सरकार का दखल है. वे इसे व्यक्तिगत आजादी पर खतरा करार दे रहे थे.

कुंवारों की शामत: 
नौवीं सदी में रोम के सम्राट ऑगस्टस ने बैचलर टैक्स लगाया था. इसका मकसद शादी को बढ़ावा देना था. इटली के तानाशाह मुसोलिनी ने भी 1924 में 21 से लेकर 50 वर्ष की आयु के बीच के अविवाहित पुरुषों पर बैचलर टैक्स लगाया. यानी कुंवारों की शामत आती रही है.

Related Posts