यहां बनायें उल्टे स्वास्तिक, बदल जाएगी आपकी किस्मत
कोलकाता टाइम्स :
सनातन धर्म में स्वास्तिक को परब्रह्म की संज्ञा दी गई है। पुराणों में स्वास्तिक को धन की देवी लक्ष्मी तथा बुद्धि के देवता भगवान गणपति का प्रतीक भी माना गया है। स्वास्तिक संस्कृत के दो शब्दों ‘सु’ एवं ‘अस्ति’ से मिलकर बना है जिनका अर्थ है ‘शुभ हो’, ‘कल्याण हो’। ज्योतिष में स्वास्तिक के कुछ अलग प्रयोग भी बताए गए हैं जिन्हें करने से सभी समस्याएं दूर होकर धन, धान्य, सौभाग्य तथा अखंड लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
स्वास्तिक पर रखें इष्टदेव की प्रतिमा
घर के पूजास्थल या मंदिर में स्वास्तिक बनाकर उस पर इष्टदेव की प्रतिमा रख कर पूजा करनी चाहिए। इससे देवता तुरंत प्रसन्न होकर मनचाहा आशीर्वाद देते हैं।
उल्टे स्वास्तिक से पूर्ण होती है हर मनोकामना
अगर आपकी कोई इच्छा लंबे समय से पूरी नहीं हो रही हैं तो अपने नजदीकी किसी मंदिर में कुंकुम से उल्टा स्वास्तिक बनाएं। जल्दी ही आपकी इच्छा पूर्ण होगी। मनोकामना पूर्ण होने के बाद उसी स्थान पर जाकर सीधा स्वास्तिक बना दें।
हल्दी के स्वास्तिक से होता है ये फायदा
घर के ईशान कोण (उत्तरी-पूर्वी) दिशा में दीवार पर हल्दी का स्वास्तिक बनाने से घर में सुख-शांति आती है और घर में होने वाले क्लेश समाप्त होते हैं।
स्वास्तिक पर जलाएं दीपक
घर के पूजास्थल या मंदिर में स्वास्तिक बनाकर उस पर पांच अनाज रखकर दीपक जलाने से सभी मनोकामनाएं जल्दी ही पूरी होती है।
हल्दी के स्वास्तिक की पूजा से होगा ये लाभ
व्यापार में बढ़ोतरी के लिए गुरुवार को तक घर के ईशान कोण (उत्तरी-पूर्वी) को गंगाजल से धोकर वहां हल्दी का स्वास्तिक बनाएं। इस स्वास्तिक की विधिवत पूजा कर गुड़ का भोग लगाएं। ऐसा लगातार 7 गुरुवार करने से व्यापार में फायदा होगा।
घर में समृद्धि लाने के लिए
घर के बाहर रंगोली के साथ कुंकुम, सिंदूर या रंगोली से स्वास्तिक बनाएं। इससे देवी-देवता प्रसन्न होकर घर में प्रवेश करते हैं और घर में रहने वालों को आशीर्वाद देते हैं।
नींद आने के लिए
रात को अगर नींद नहीं आए या बुरे सपने आते हों तो घर के मंदिर में तर्जनी अंगुली से स्वास्तिक बनाएं। इससे तुरंत ही आराम मिलेगा।