June 30, 2024     Select Language
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इन संकेतों की हल्‍की सी लापरवाही से भुगत सकते हैं पांव और टखने के कैंसर से 

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कोलकाता टाइम्स : 

बोन कैंसर शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है लेकिन कमर के पास का हिस्सा, हाथ और पैर की सबसे लंबी बोन शरीर के ऐसे हिस्से हैं जहां यह सबसे ज्यादा कॉमन है। वैसे बाकी कैंसरों से तुलना की जाए तो बोन कैंसर के मामले कम देखने को मिलते हैं। कुछ कैंसर ऐसे भी होते हैं जो खासतौर पर बच्चों को प्रभावित करते हैं वहीं कुछ अडल्ट्स को होते हैं।

बोन कैंसर होने पर हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। कैंसर के सेल्स का सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव हड्डियों के टीश्यूज पर पडता है जिसकी वजह से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। हड्डियों में दर्द होने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए क्योंकि हड्डियों में दर्द बोन कैंसर का लक्षण हो सकता है। वजह बोन कैंसर की वजह तो अब तक साफ नहीं लेकिन कुछ बोन कैंसर अनुवांशिक वजहों से होते हैं तो कुछ रेडिएशन एक्सपोजर के चलते।

बोन कैंसर के प्रकार – कॉन्ड्रोसारकोमा – इविंग सारकोमा – ऑस्टियोसारकोमा 

कम होने लगता है वजन : बोन कैंसर होने पर आदमी का वजन सामान्य नहीं रह पाता है और वजन कम होने लगता है। कैंसर होने पर सामान्य दिनों की अपेक्षा आदमी को भूख नहीं लगती है जिसकी वजह से भी वजन कम होने लगता है। खाने के प्रति आदमी की रुचि समाप्त होने लगती है।

हड्डियां हो जाती है कमजोर पांव के ज्‍वॉइंट अथवा हड्डी में गांठ या सूजन अगर किसी भी हड्डी में गांठ या सूजन है तो हड्डी के विशेषज्ञ को अवश्य दिखाएं। अगर वह गांठ समय के साथ बढ़ रही हो तो वह हड्डी का कैंसर भी हो सकती है। दर्द का होना हड्डी या जोड़ में दर्द बने रहना, रात में दर्द होना या आराम करने में भी दर्द रहना। अगर ये लक्षण कम उम्र, खासकर बच्चों या युवाओं में दिखें तो तुरंत जांच कराएं। हड्डी टूटना सामान्य तौर पर हड्डी बहुत मजबूत होती है, जो आसानी से नहीं टूटती, लेकिन अगर किन्हीं कारणों से हड्डी कमजोर हो गई है तो यह आसानी से टूट सकती है।

बुखार या कमजोरी महिलाओं में बोन कैंसर होने पर हड्डियों में हमेशा दर्द रहता है। हल्का सा चलने और काम करने में थकान महसूस होने लगती है। शरीर में अक्सर हल्का फीवर रहता है और बोन कैंसर ज्यादा प्रभावी होने पर बुखार तेज हो जाता है। उल्‍टी होना भी शुरू हो जाता है। पेशाब और शौच पर भी पड़ता है असर बोन कैंसर का प्रभाव जब रीढ की हड्डी या श्रोणि (पेल्विक बोन) पर होता है तब आदमी को पेशाब करने में दिक्कत होने लगती है। क्योंकि बोन कैंसर के कारण आंत और मूत्राशय प्रभावित होते हैं।

बार-बार पेशाब लगना और बार-बार पेशाब करने से बोन कैंसर बहुत तेजी से फैलने लगता है। रीढ की हड्डी में फैला ट्यूमर पेशाब और शौच क्रिया को अनियमित कर देता है।

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