30 हजार मासूमों के खून, गर्भवतियों के टॉर्चर के आरोपी बनेगा ईरान का राष्ट्रपति!
कोलकाता टाइम्स :
ईरान में शुक्रवार को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में कट्टर मौलवी इब्राहिम रायसी की जीत लगभग तय मानी जा रही है। रायसी को ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई का पसंदीदा माना जाता है। संसद के अनुसंधान केंद्र के प्रमुख अलीरेजा जकानी के राष्ट्रपति पद की दौड़ से हटने के बाद इब्राहिम रायसी की दावेदारी और भी मजबूत हो गई है। रायसी को बेहद क्रूर कहा जाता है, ऐसे में इसकी पूरी संभावना है कि मौजूदा राष्ट्रपति हसन रूहानी की कुर्सी पर बैठने के बाद वह और भी ज्यादा क्रूर हो जाएं।
‘द सन’ की रिपोर्ट के अनुसार, कट्टरपंथी मौलवी इब्राहिम रायसी ने कुछ साल पहले कथित तौर पर गर्भवती महिलाओं को यातना देने का आदेश दिया था। इतना ही नहीं उसके आदेश पर कैदियों को पहाड़ों से फेंक दिया गया था और मासूम लोगों की बिजली की तारों से पिटाई भी की गई थी। रायसी 1988 में सामूहिक नरसंहार के फैसले से भी जुड़े रहे हैं।
न्यायपालिका के प्रमुख रहे इब्राहिम रायसी ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई के करीबी माने जाते हैं। यही वजह है कि ईरान में उनका काफी दबदबा है. हालांकि, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि रायसी के देश का राष्ट्रपति बनने से स्थिति और भी खराब हो जाएगी। 1988 के सामूहिक नरसंहार में रायसी ने अहम भूमिका निभाई थी। 1980 में महज 20 साल की उम्र में रायसी को तेहरान के पश्चिम में करज की क्रांतिकारी अदालत का अभियोजक नियुक्त किया गया था और 1988 में उन्हें प्रमोट करके Deputy Prosecutor बना दिया गया।
इसके बाद उन्हें चार सदस्यों की उस समिति का हिस्सा बनाया गया, जिसे ईरान पीपुल्स मुजाहिदीन संगठन के कैद कार्यकर्ताओं की हत्या का जिम्मा सौंपा गया था। जिसके तहत ईरान की जेलों में बंद करीब 30 हजार लोगों को कुछ ही महीनों के अंतराल में गोलियों से भून दिया गया था, इसमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे।