सिर्फ कुत्ता ही नहीं इन जानवरों के काटने से भी होता है रेबीज
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कोलकाता टाइम्स :
रेबीज एक ऐसा खतरनाक वायरस है, क्योंकि जब तक इसके लक्षण दिखने प्रारम्भ होते है तब तक यह बहुत घातक हो चुका होता है। कई लोगों को इस बात की गलतफहमी है कि रेबीज केवल कुत्तों के काटने से होता है लेकिन ऐसा नही है। यह कुत्तों के काटने के साथ- साथ बंदर और बिल्लीयों के काटने से भी होता है। इसके अलावा कई बार पालतू जानवर के चाटने या खून का जानवर के लार से सीधे संपर्क से भी ये रोग हो जाता है। आइए जानते है रेबीज के लक्षण और इससे बचाव के तरीकों के बारे में।
कैसे करता है संक्रमित रेबीज
एक तरह का वायरल संक्रमण है, जो आतमौर पर संक्रमित जानवरों के काटने से फैलता है। ये वायरस बहुत घातक होता है और यदि समय से इलाज न कराया जाएं, तो यह ज्यादातर जानलेवा साबित होता है। जब रेबीज वायरस मनुष्य के नर्वस सिस्टम में पहुंच जाते हैं, तो ये दिमाग में सूजन पैदा कर देते हैं, जिससे जल्द ही व्यक्ति कोमा में चला जाता है. अथवा उसकी मौत हो जाती है. रेबिज के कारण कई बार व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है और वह बिना बात के उत्तेजित हो जाता है. रेबिज के कारण कई बार मनुष्य को पानी से डर लगने लगता है इसके अलावा भी कुछ लोगों को पैरालिसिस यानी लकवा होने कि संभावना होती है।
क्या हैं रेबीज के लक्षण
रेबीज से ग्रसित व्यक्ति में रेबीज के लक्षण बहुत दिनों के बाद उभरते हैं, ज्यादातर तब, जब व्यक्ति का इलाज मुश्किल हो जाता है। रेबीज के आम लक्षण कुछ इस प्रकार के होते हैं:
– बुखार
– सिरदर्द
– घबराहट या बेचैनी
– चिंता और व्याकुलता
– भ्रम की स्थिति
– खाना-पीना निगलने में कठिनाई
– बहुत अधिक लार निकलना
– पानी से डर लगना (हाईड्रोफोबिया)
– पागलपन के लक्षण
– अनिद्रा
– एक अंग में पैरालिसिस यानी लकवा मार जाना
सालों बाद भी दिख सकते हैं रेबीज के लक्षण
रेबीज से संक्रमित होने के एक सप्ताह के बाद या कई सालों बाद लक्षण उभर सकते हैं। ज्यादातर लोगों में रेबीज के लक्षण सामने आने में चार से आठ सप्ताह लग जाता है। अगर रेबीज से संक्रमित जानवर किसी की गर्दन या सिर के आस-पास काट लेता है तो लक्षण तेजी से उभरते हैं क्योंकि तब ये वायरस व्यक्ति के दिमाग तक जल्दी पहुंच जाते हैं।
क्या करें अगर जानवर काट ले
जानवरों के काटने पर काटे गए स्थान को तुरंत पानी व साबुन से अच्छी तरह धो देना चाहिए। धोने के बाद काटे गए स्थान पर अच्छी तरह से टिंचर या पोवोडीन आयोडिन लगाना चाहिए। ऐसा करने से कुत्ते या अन्य जानवरों की लार में पाए जाने वाले कीटाणु सिरोटाइपवन लायसावायरस की ग्यालकोप्रोटिन की परतें घुल जाती हैं। इससे रोग की मार एक बड़े हद तक कम हो जाती है, जो रोगी के बचाव में सहायक होती है। जानवर के काटने के तुरंत बाद रोगी को टिटेनस का इन्जेक्शन लगवाना चाहिए। और डॉक्टर की सलाह से काटे गए स्थान का उचित इलाज करना चाहिए।
क्या करें रेबीज से बचने के लिए
– रेबीज की रोकथाम के लिए कुत्ते के काटने पर पोस्ट एक्सपोजर टीकाकरण तुरंत करवाएं।
– रेबीज वालें जानवरों के काटने पर, कटे हुए स्थान को तुरंत पानी व साबुन से अच्छी तरह धोना चाहिए।
– धोने के बाद कटे हुए स्थान पर अच्छी तरह से टिंचर या पोवोडीन आयोडिन लगाना चाहिए। ऐसा करने से कुत्ते या अन्य जानवरों की लार में पाए जाने वाले कीटाणु सिरोटाइपवन लायसावायरस की ग्यालकोप्रोटिन की परतें धुल जाती हैं।
– इससे रोग की बढ़ने कि संभावना काफी हद तक कम हो जाती है, जो रोगी के बचाव में सहायक होती है जानवर के काटने के तुरंत बाद रोगी को किसी अच्छे जानकार डॉक्टर से इलाज करवाना चाहिए।
-पालतू कुत्तों का वैक्सीनेशन जरुर कराएं।