February 22, 2025     Select Language
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यूँ ही कातिल के हाथ में खंज़र नहीं आता 

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सलिल सरोज

इस तिश्नगी का कोई हल नज़र नहीं आता
मेरा कोई रास्ता भी तो तेरे घर नहीं आता   1

जिसे छोड़ दिया, उसे बस छोड़ ही  दिया
फिर से मनाने का हमें  हुनर  नहीं  आता    2

वो दरिया है तो  उसे  मौजों  का गुरूर है
हम समंदर हैं , हमें  भी  सबर नहीं आता    3

जो दिया है ,  उतना  ही वापस मिलता  है
सूखे पेड़ों पर  कभी गुल मोहर नहीं आता   4

जब से सियासत मिली  है जंगल  की उसे
फिर कोई दूसरा जानवर नज़र नहीं आता   5

नीयत  खराब  ना  हो तो कुछ  नहीं होता
यूँ ही कातिल के हाथ में खंज़र नहीं आता   6

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