November 23, 2024     Select Language
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आखिर क्यों, तंत्र क्रियाएं शमशान में ही की जाती हैं

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कोलकाता टाइम्स :

तंत्र क्रियाओं का नाम सुनते ही जहन में अचानक शमशान का चित्र उभर आता है। जलती चिता के सामने बैठा तांत्रिक, अंधेरी रात और मीलों तक फैला सन्नाटा। आखिर क्यों अधिकांश तंत्र क्रियाएं शमशान में की जाती है। यदि आपके मन में भी ये सारे सवाल हैं तो आइये जानते हैं क्यों ये साधनाएं शमशान में की जाती हैं।

दरअसल शमशान ही वह स्थान है जहां के वातावरण में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह की शक्तियां होती हैं। जहां चाहे मुश्किल से लेकिन नकारात्मक को सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है। तंत्र क्रियाएं हर तरह के शमशान में नहीं हो सकती हैं। इसकी सिद्धि के लिए भी विशेष शमशान होना जरूरी है। ऐसे शमशान जिसके किनारे कोई नदी हो और दूसरा कोई सिद्ध मंदिर उसके क्षेत्र में हो।

तांत्रिक ऐसे शमशानों में साधना करना पसंद करते हैं जहां रोजाना 2-4 शव जलाए जाते हों। शमशान का नदी के किनारे होना इसलिए जरूरी है क्योंकि पानी सृजन का प्रतीक है, वह पवित्र भी है और उसे ब्रह्म भी माना जाता है। नदी के किनारे होने से वहां सकारात्मक ऊर्जा रहती है, जो सृजनशीलता बढ़ाती है। वहीं श्मशान संहार का प्रतीक है। जहां नकारात्मक ऊर्जा प्रचुर होती है।

इसी नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव से खुद को बचाने के लिए तांत्रिक ऐसे शमशान में साधना करना पसंद करते हैं। पास ही मंदिर होने से भी नकारात्मक ऊर्जाओं का प्रभाव कम होता है और उन पर आसानी से नियंत्रण पाया जा सकता है। इस नकारात्मक ऊर्जा को इन्हीं दो कारणों से तांत्रिक सकारात्मक में बदल देते हैं। इन साधनाओं के माध्यम से ही यह चमत्कार संभव है। इसीलिए ये साधनाएं शमशान में की जाती हैं।

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