हैरत में डाल देगा हर दिन अपना रंग बदलने वाली लक्ष्मी
मां लक्ष्मी का पचमठा मंदिर तांत्रिक साधना के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि परिसर के चारों तरफ़ श्रीयंत्र की विशेष रचना है। दीवाली के दिन यहां देशभर से तांत्रिक अपनी तंत्र विद्या का प्रयोग करने आते हैं। मान्यता के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 1100 साल पहले हुआ था। क्योंकि मंदिर के अंदर देवी लक्ष्मी के साथ-साथ अन्य कई देवी- देवताओं की प्रतिमाएं भी है, इसलिए लोगों की आस्था यहां विराजमान सभी देवताओं के लिए बराबर है। जिसमें से राधा-कृष्ण एक हैं। बता दें कि यहां राधा-कृष्ण उत्सव बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। यहां पूरे सालभर भक्तों का आना जाना लगा रहता है, लोग अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए यहां आते हैं लेकिन दिवाली के दिन इस मंदिर का नज़ारा देखते ही बनता है।
मंदिर की सबसे हैरान कर देने वाली बात यह है कि यहां विराजमान मां लक्ष्मी की प्रतिमा दिन में तीन बार रंग बदलती है। जिसके अनुसार सुबह को प्रतिमा का रंग सफ़ेद होता है, दोपहर को पीला और शाम को नीला हो जाता है। इस बात को न मानने वाले लोग खुद यहां आकर इस चीज़ का अनुभव करते हैं और दंग रह जाते हैं।
इसके साथ ही आपको बता दें कि पचमठा नामक प्रसिद्ध स्थान की एक खास बात यह भी है कि सूरज की पहली किरण मां लक्ष्मी के चरणों पर पड़ती है। माना जाता है कि मंदिर में आने वाला हर भक्त कभी भी खाली हाथ नहीं जाता। हिंदू धर्म में शुक्रवार का दिन देवी लक्ष्मी को समर्पित है इसलिए इस दिन यहां ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है।
लोक मान्यता के अनुसार जो कोई भी 7 शुक्रवार यहां श्रद्धा से मां के चरणों में अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करता है उसकी हर मनोकामना जरूर पूरी होती है। कहा जाता है कि मां जिस पर भी खुश हो जाती हैं वो मालामाल हो जाता है और उसको कभी भी धन की कमी नहीं आती।