बिना काम के वेतन 74 लाख, परेशान कर्मचारी ने फिर उठाया यह बड़ा कदम
श्रीलंकाई मूल के हरेन्द्र हेरोल्ड सिरिसेन ने 1995 में न्यूयॉर्क सिटी यूनिवर्सिटी ज्वाइन की थी। शुरु में तो सब कुछ ठीक रहा लेकिन 2003 में उसका सारा काम छीन लिया और एक युवा सहायक को सौंप दिया गया।
तब से हरेन्द्र के पास काफी कम काम रह गया। उनका काम इतना कम हो गया कि साल भर में केवल 30 दिन का काम ही उन्हें दिया गया। वह अपने कुल वर्किंग डेज में से 85 प्रतिशत समय परिंदों को दाना चुगाते, संगीत सुनते, फुटबाल देखते और क्रिकेट खेलते। इसी तरह हरेन्द्र ने कुल 13 वर्ष गुजार दिये इस दौरान उन्हें सालाना एक लाख डॉलर का वेतन भी समय पर मिलता रहा। समय-समय पर हरेन्द्र ने अपने अधिकारियों को लगातार पत्र लिखते हुए काम की मांग करते रहे। आखिरकार हरेन्द्र को बिना काम काज के वेतन लेने में बहुत शर्म महसूस हो रही थी। तब उन्होंने इसके खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज करवा दी। वकील के अनुसार अब यूनिवर्सिटी के खिलाफ हरेन्द्र के प्रति भेदभाव का मुकदमा दर्ज कराया ।