जंक फूड को ना नहीं हाँ कहेंगे, जब भागेगी बीमारियां
कोलकाता टाइम्स :
अब लोगों के खास कर यंग जेनरेशन के लोगों के टिफिन से घर का खाना जैसे आलू-गोभी के परांठे आदि दिखने बंद से हो गए हैं। लगता है उनके लिए घर का खाना ‘आउट ऑफ फैशन हो गया है। इसकी जगह कैंटीन में मिलने वाले मोमोज, समोसे, मैगी और ब्रेड पकौडे को खाने में ज्यादा मजा आने लगा है। जाहिर ये स्वाद के लिए तो अच्छे हैा पर सेहत के लिए नुकसान देह। अनियमित खानपान की वजह से स्ट्रेस, कब्ज और एसिडिटी जैसी बीमारियां भी बढ़ने लगी हैं। अब क्या हो।
एक सर्वे के मुताबिक, यदि नियमित रूप से घर का खाना खाया जाए तो 70 प्रतिशत लोगों की बीमारियां अपने आप ही खत्म हो जाएंगी। अधिकतर युवा घर से दूर रहकर दूसरे शहरों में पढाई या नौकरी कर रहे हैं। घर का खाना न मिल पाने के कारण वे मार्केट में जंक फूड खाने को मजबूर हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2025 तक भारत में सबसे अधिक मृत्यु हृदय रोग की वजह से होगी। खानपान की बदलती आदतें आज के युवाओं के लिए बहुत हानिकारक हैं। स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है कि पौष्टिक भोजन का सेवन कर जंक फूड को बाय बोल दिया जाए, लेकिन क्या ऐसा पॉसिबल है। फिर क्या करें, कुछ खास नहीं बस थोड़ा सा खुद बदलें और थोड़ा सा अपना खाना।
अब ये तो सच है कि स्वाद और सेहत का कॉम्बो स्वाद के लिए सेहत से कॉम्प्रोमाइज करना किसी भी लिहाज से ठीक नहीं है। इसके बावजूद हम कहेंगे की बिलकुल जरूरी नहीं है कि फिटनेस के लिए खानपान की आदतों को ही बदल दिया जाए। बस करना इतना है कि मार्केट का इंस्टेंट फूड या रेडी टू ईट फूड खाने के बजाय कोशिश की जानी चाहिए कि हेल्दी खाना खाया जाए। अगर आप बर्गर, फ्रेंच फ्राइज या पिज्जा जैसी चीजें खाने के शौकीन हैं तो हमेशा बाहर से मंगवाने के बजाय उन्हें घर पर ही बनाने का प्रयास करना चाहिए। इससे आपको पता रहेगा कि उसमें क्या सामग्रियां डाली जा रहीं हैं और आप उन्हें बेहतर तरीके से भी बना सकेंगे। फूड वेबसाइट्स देखकर जल्द तैयार की जाने वाली टेस्टी रेसिपीज सीखी जा सकती हैं। हां कभी-कभार मार्केट की चीजों को खाया जा सकता है।