July 5, 2024     Select Language
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त्वचा के रंग पर निर्भर है इस राष्ट्र की नागरिकता

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कोलकाता टाइम्स : 
सिर्फ त्वचा की रंग किसी देश की नागरिकता पाने या न पाने की शर्त हो तो आप क्या कहेंगे? हैरान मत होईये। इस दुनिया में ही ऐसा देश है लाइबेरिया। जहाँ अगर आप का रंग कला न हो तो आप यहां के नागरिकता नहीं पा सकते।

अब टॉनी हेज को ही ले लीजिये, पिछले 50 साल से वहां रह रहे हैं। यहां की यूनिवर्सिटी में पढाई की, नौकरी भी यहां । उनके बच्चे भी यहां पैदा हुए, लेकिन फिरभी उन्हें या उनके बच्चो को इस देश की नागरिकता नहीं मिली। वजह उनकी त्वचा का रंग।

लाइबेरिया पश्चिम अफ्रीका का वो राष्ट्र है जिसे अमेरिका में मुक्ति प्राप्त दासों के लिया प्रतिष्ठा किया गया। ताकि ऐसा दास लाइबेरिया लौट सके इसलिए इस राष्ट्र के संबिधान में एक खास धारा शामिल किया गया, जिसमें लिखा था अफ्रीकन बंसज के अलावा दूसरा कोई इस देस का नागरिक नहीं बन सकता।

1970 के दशक में लाइबेरिया में लेबनानज की संख्या 17 हजार अब जो 3 हजार रह गया है। बाकि सभी दूसरे नस्ल के जो की देश के बड़े बड़े होटलों और कई व्यवसाय के मालिक हैं वे कोई भी नागरिकता प्राप्त नहीं

इसके सैकड़ों साल बाद लिबेरिया के नये प्रेसिडेंट पूर्व फुटबॉलर जॉर्ज वियाह ने इस कानून को ‘नस्लवादी और वेबजह’ करार दिया।

हालाँकि, प्रेसिडेंट की इस बात से इस लिबरिआ के नागरिक अब चिंतित हो उठे हैं। उन्हें लगने लगा है अगर दूसरे देश से गोरे चमङेवालों को यहां की नागरिकता दी गयी और यहां संपत्ति खरीदने का हक़ दिया गया तो वे फिरसे उन्हें दास बना लेंगे। इसलिए प्रेजिडेंट जॉर्ज  वियाह के खिलाफ यहां के नागरिकों ने एक संगठन की प्रतिष्ठा की है।

आपको जानकर हैरानी होगी इस देश में काफी मारा में खनिज सम्पदा होने के वावजूद यहां इंसान प्रतिवार्षिक इनकम  900 मार्किन डॉलर है जबकि अमेरिका में यह 59 हजार 500 डॉलर है। प्रेसीडेंट का कहना झंजोड़ दिया है। है, लाइबेरिया धीरे धीरे टूट रहा है। यहां एक के बाद एक गृहयुद्ध और इबोला वाइरस ने देश को झकझोर कर रख दिया है। देश में विकास की जरुरत है।

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