November 23, 2024     Select Language
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जब एक तरबूज की वजह से बिछ गए हजारों सैनिकों के लाशें 

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कोलकाता टाइम्स : 

भारत के इतिहास में कई ऐसी लड़ाईयां लड़ी गई हैं, जिनके मुख्य वजह दूसरे राज्यों पर अधिकार जमाना ही होता था, लेकिन आज से करीब 375 साल पहले एक बेहद ही अजीब वजह से युद्ध हुआ था. आज हम आपको इस अजीब युद्ध के बारें में विस्तार से बताने जा रहे है. ये युद्ध अजीब इसलिए है, क्योंकि यह महज एक तरबूज के लिए हुआ था. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस भयानक युद्ध में हजारों सैनिक मारे गए थे.बता दें की यह लड़ाई दुनिया की एकमात्र ऐसी लड़ाई है, जो सिर्फ एक फल की वजह से लड़ी गई थी. इतिहास में इस युद्ध को ‘मतीरे की राड़’ के नाम से जाना जाता है. हालांकि, राजस्थान के कुछ हिस्सों में तरबूज को मतीरा कहा जाता है और राड़ का मतलब झगड़ा होता है. ‘मतीरे की राड़’ नामक लड़ाई 1644 ईस्वी में लड़ी गई थी. यह कहानी कुछ इस तरह है कि उस वक्त  बीकानेर रियासत का सीलवा गांव और नागौर रियासत का जाखणियां गांव एक दूसरे से सटे हुए थे. ये दोनों गांव दोनों रियासतों की अंतिम सीमा थे. हुआ कुछ यूं कि तरबूज का एक पौधा बीकानेर रियासत की सीमा में उगा, लेकिन उसका एक फल नागौर रियासत की सीमा में चला गया.

अब बीकानेर रियासत के लोगों का मानना था कि तरबूज का पौधा उनकी सीमा में है तो फल भी उनका ही हुआ, लेकिन नागौर रियासत के लोगों का कहना था कि जब फल उनकी सीमा में आ गया है तो वो उनका हुआ. इसी बात को लेकर दोनों रियासतों में झगड़ा हो गया और धीरे-धीरे ये झगड़ा एक खूनी लड़ाई में तब्दील हो गया. ये भी कहते हैं कि इस अजीबोगरीब लड़ाई में बीकानेर की सेना का नेतृत्व रामचंद्र मुखिया ने किया था जबकि नागौर की सेना का नेतृत्व सिंघवी सुखमल ने. हालांकि दोनों रियासतों के राजाओं को तब तक इसके बारे में कुछ भी पता नहीं था, क्योंकि उस वक्त बीकानेर के शासक राजा करणसिंह एक अभियान पर गए हुए थे जबकि नागौर के शासक राव अमरसिंह मुगल साम्राज्य की सेवा में थे. दरअसल, दोनों राजाओं ने मुगल साम्राज्य की अधीनता स्वीकार कर ली थी. जब इस युद्ध के बारे में दोनों राजाओं के पता चला तो उन्होंने मुगल दरबार से इसमें हस्तक्षेप करने की मांग की. हालांकि तब तक बहुत देर हो गई. बात मुगल दरबार तक पहुंचती, उससे पहले ही युद्ध छिड़ गया. इस युद्ध में भले ही नागौर रियासत की हार हुई, लेकिन कहते हैं कि इसमें दोनों तरफ से हजारों सैनिक मारे गए.

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