July 2, 2024     Select Language
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ज्यादातर नहीं जानते कब नहीं पहनना चाहिए किसी ग्रह से संबंधित रत्न, वरना … 

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कोलकाता टाइम्स : 
वैदिक ज्योतिष में नौ ग्रहों के साथ उनके मुख्य रत्न और उपरत्नों का संबंध है। अक्सर लोग बिना ज्योतिषी से पूछे थोड़ी-बहुत जानकारी के आधार पर या शौकिया तौर पर रत्न पहन लेते हैं। यदि वह रत्न उन्हें सूट करे तब तो ठीक है, वरना उसका उल्टा असर होते देर नहीं लगती। गलत रत्न और गलत समय पर पहने गए रत्न व्यक्ति का जीवन बर्बाद तक कर सकते हैं। वैदिक ज्योतिष में रत्नों को धारण करने के अनेक नियम बनाए गए हैं। उनका पालन करना जरूरी है। आपने अभी तक यह तो खूब पढ़ा या सुना होगा कि रत्न कब और कैसे पहनना चाहिए, लेकिन यह जानकारी नहीं होगी कि रत्न कब नहीं पहनना चाहिए। आइए जानते हैं रत्न कब, किस दिन, किस ग्रह स्थिति में धारण नहीं करना चाहिए।
चलित महादशा लोग अक्सर अपने लग्न, राशि या चलित महादशा के अनुसार उस ग्रह का रत्न धारण कर लेते हैं। यह सर्वाधित प्रचलित विधि है, लेकिन यह पूरी तरह सही नहीं है। जरूरी नहीं कि जो लग्न, राशि या जिस ग्रह की महादशा आपको चल रही है वह आपके लिए अनुकूल हो। यदि गलत ग्रह की महादशा चल रही हो और उसी ग्रह का रत्न धारण कर लिया तो उस ग्रह का बुरा प्रभाव और बढ़ भी सकता है। जिस दिन रत्न धारण कर रहे हैं, उस दिन अमावस्या, ग्रहण या संक्रांति काल नहीं होना चाहिए। किसी भी ग्रह का रत्न माह के कृष्ण पक्ष में धारण नहीं करना चाहिए, शुक्ल पक्ष में ही रत्न पहनें। चतुर्थी, नवमी और चतुर्दशी तिथि में भी रत्न धारण नहीं किया जाता है। रत्न धारण करने वाले दिन गोचर में चंद्रमा आपकी राशि से चौथा, आठवां, बारहवां नहीं होना चाहिए।
स्त्रियों को माहवारी के दिनों में रत्न धारण नहीं करना चाहिए… नीच ग्रहों के रत्न धारण करने से बचना चाहिए।
जिस ग्रह का रत्न धारण करने जा रहे हैं, वह आपकी कुंडली में एक से अधिक पाप ग्रहों से युक्त नहीं होना चाहिए।
रत्न कभी भी दोपहर के बाद धारण नहीं किया जाता है। रत्न पहनने के लिए सुबह का वक्त चुनें, दोपहर 12 से पहले।
स्त्रियों को माहवारी के दिनों में रत्न धारण नहीं करना चाहिए। आप जिस ग्रह का रत्न धारण कर रहे हैं उसकी महादशा में यदि पाप या शत्रु ग्रह की अंतर्दशा चल रही हो तो भी रत्न धारण नहीं किया जाता है।
कुंडली में कालसर्प दोष हो तो… 15 डिग्री से कम के ग्रह का रत्न तभी पहना जाता है जब उसके साथ कोई शत्रु या पाप ग्रह बैठा ना हो। सवा चार कैरेट से कम और सवा 8 कैरेट से अधिक वजन का रत्न नहीं पहनना चाहिए। उसका कोई प्रभाव नहीं होगा। कुंडली में कालसर्प दोष हो तो राहु-केतु के रत्न गोमेद और लहसुनिया धारण नहीं करना चाहिए। इनके उपरत्न पहने जा सकते हैं। -सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण दोष हो तो माणिक और मोती धारण ना करें। इनकी धातुएं सोना और चांदी धारण कर सकते हैं। पितृदोष हो तो माणिक, मोती, गोमेद, लहसुनिया, नीलम धारण ना करें।

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