सबसे खतरनाक, जिसका एक कण भी सुला सकता है मौत की नींद
बता दें की पोलोनियम 210 एक रेडियोएक्टिव तत्व है, जिससे निकलने वाला रेडिएशन इंसानी शरीर के अंदरूनी अंगों के साथ-साथ डीएनए और इम्यून सिस्टम को भी तेजी से तबाह कर सकता है. मृत शरीर में इसकी मौजूदगी का पता लगाना भी बेहद ही मुश्किल काम होता है. वैसे भारत में तो इस जहर की जांच मुमकिन ही नहीं है. पोलोनियम-210 की खोज मशहूर भौतिकविद और रसायनशास्त्री मैरी क्यूरी ने साल 1898 में की थी. उन्हें रसायन विज्ञान के क्षेत्र में रेडियम के शुद्धीकरण (आइसोलेशन ऑफ प्योर रेडियम) के लिए रसायन शास्त्र का नोबेल पुरस्कार भी मिला था. इसके अलावा उन्हें रेडियोएक्टिविटी की खोज के लिए भौतिकी का नोबेल पुरस्कार भी मिला था. वैसे पोलोनियम का नाम पहले रेडियम एफ रखा गया था, लेकिन बाद में इसे बदल दिया गया.
वैज्ञानिकों के आनुसार, पोलोनियम-210 अगर नमक के छोटे कण जितना भी इंसान के शरीर में चला जाए तो पल भर में उसकी मौत हो सकती है. इसे पहचानना बहुत मुश्किल होता है, क्योंकि अगर इसे खाने में मिला दिया जाए तो इसके स्वाद का पता ही नहीं चल पाता. कहते हैं कि पोलोनियम जहर की पहली शिकार इसकी खोजकर्ता मैरी क्यूरी की बेटी ईरीन ज्यूलियट क्यूरी थी, जिसने इसका एक छोटा सा कण खा लिया था. इसकी वजह से उनकी तुरंत ही मौत हो गई थी. इसके अलावा माना जाता है कि इस्त्रायल के सबसे बड़े दुश्मन माने जाने वाले फिलिस्तीनी नेता यासिर अराफात की मौत भी इसी जहर से हुई थी. इसकी जांच के लिए उनके शव को दफनाने के कई साल बाद कब्र से निकाला गया था. स्विट्जरलैंड के वैज्ञानिकों ने यह दावा किया कि उनके शव के अवशेषों में रेडियोधर्मी पोलोनियम-210 मिला था.