सेना में लेफ्टिनेंट जनरल का यह सच्चाई जान चौंक उठेंगे
कोलकाता टाइम्स :
क्या आपको पता है सेना में सीनियर लेवल के अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल का औदा चाहे जितना भी आगे हो लेकिन सैलेरी के मामले में वह फिस्सडी हैं। सेना में मेजर जनरल और उससे ऊपर के सीनियर रैंकों के बीच वेतन विसंगति से संबंधित मुद्दा कई सालों से लंबित है. सैलरी की विसंगति को दूर करने में केंद्र सरकार भी अब तक विफल रही है, जिसमें सीनियर रैंक के अधिकारियों को उनके जूनियर्स की तुलना में कम सैलरी या पेंशन मिल रही है. कुछ मामलों में जूनियर रैंक के कर्नल को लेफ्टिनेंट जनरल की तुलना में ज्यादा सैलरी मिल रही है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, विसंगति की जड़ मिलिट्री सर्विस पे कंपोनेंट है, जो ब्रिगेडियर रैंक तक के सैन्य अधिकारियों की सैलरी में 15500 रुपये तक होता है. ब्रिगेडियर के रैंक के बाद मिलिट्री सर्विस पे को वेतन में अलग से नहीं जोड़ा जाता है. इस कारण जूनियर रैंक को सीनियर से अधिक सैलरी मिलती है. मिलिट्री सर्विस पे के कारण लेफ्टिनेंट कर्नल से ब्रिगेडियर रैंक तक के अधिकारियों का वेतन मेजर जनरल से लेफ्टिनेंट जनरल रैंक तक के अधिकारियों के वेतन से अधिक हो जाता है.
सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल को हर महीने 226200 रुपये तक सैलरी मिल सकती है. वहीं कर्नल रैंक के अधिकारी को 229500 रुपये और ब्रिगेडियर को वेतन 233100 रुपये प्रति महीने मिल सकता है. जबकि एमएसपी कंपोनेंट जोड़ने के बाद भी आर्मी के वाइस चीफ यानी लेफ्टिनेंट जनरल को प्रति माह 225000 रुपये से अधिक नहीं दिया जा सकता है.
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि तत्कालीन रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने सैन्य अधिकारियों की सैलरी विसंगति को दूर करने की कोशिश की थी, लेकिन कथित तौर पर फाइल को वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने उन्हें वापस रेफर किए बिना बंद कर दिया.