हे भगवान ! एक-दो नहीं हर रोज नौ तरह का प्लास्टिक खा रहे हैं हम, कैसे ?
पेट बना प्लास्टिक का भंडार : इस शोध में ब्रिटेन, फिनलैंड, इटली, नीदरलैंड, पोलैंड, रूस और ऑस्ट्रिया के आठ शाकाहारी और मांसाहारी भोजन लेने वाले लोगों को शामिल किया गया था। सभी के शरीर से नौ विभिन्न प्रकार के प्लास्टिक के कण मिले।
बढ़ता प्रदूषण : प्लास्टिक के कणों से वायु और जल प्रदूषण बढ़ रहा है। वॉशिंग मशीन में एक बार कपड़े धोने पर तकरीबन सात लाख प्लास्टिक फायबर के कण वातावरण में मिल जाते हैं।
सैकड़ों कण: शोधकर्ताओं के मुताबिक प्लास्टिक की पानी की बोतल, खाने में प्लास्टिक के बर्तनों का इस्तेमाल, खाना रखने के डिब्बे, डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ और मछलियों के जरिए सैकड़ों कण पेट में पहुंच रहे हैं। साथ ही धूल और सिंथेटिक मटेरियल के कपड़ों से प्लास्टिक फायबर सांस लेने पर इंसान के शरीर में पहुंच जाता है।
लीवर को नुकसान : प्लास्टिक के कई नन्हें कण शरीर में ही रह जाते हैं और रक्त के साथ प्रवाह होने लगते हैं। नतीजतन ये लसीका तंत्र और लीवर तक पहुंच सकते हैं, जो इंसान की रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित कर सकते हैं और विषाक्त पदार्थ शरीर में जमा कर सकते हैं। आंतों और पेट की बीमारी से पीड़ित मरीजों के लिए ये प्लास्टिक और भी ज्यादा खतरनाक होता है।
पॉलीप्रोपाइनलीन और पॉलीथीनटेरेफेथलेट नौ में से वो दो प्रकार के प्लास्टिक हैं जिसके कण आमतौर पर इंसान के पेट में पाए जाते हैं। ये दोनों प्रकार का प्लास्टिक का इस्तेमाल खाद्य पदार्थों के उत्पादन और पैकिंग में इस्तेमाल किया जाता है। शोध में ये कण 50 से 500 माइक्रोमीटर आकार के पाए गए। इंसान के बालों की मोटाई 17 से 181 माइक्रोमीटर होती है।