पैर की यह उंगली जमीन को नहीं छूती तो कई धोखे से सावधान
कोलकाता टाइम्स :
हमारे पूर्वजों ने कई ऐसे शास्त्रों और पुराणों की रचना की है जिसके आधार पर किसी व्यक्ति का स्वभाव और भविष्य के बारे में पता लगाया जा सकता है, इन्ही शास्त्रों में से एक है समुद्र शास्त्र। इसके अनुसार व्यक्ति की शारीरिक बनावट और अंगों को देखकर इसके बारे में कई महत्वपूर्ण बातों का पता लगाया जा सकता है। इस शास्त्र में अंगों के शुभ-अशुभ संकेत बताए गए हैं।
आइए जानते हैं अंगों से जुड़े कुछ खास शुभ-अशुभ संकेतों के बारे में….
– अगर किसी पुरुष के दाएं पैर की सबसे छोटी उंगली जमीन को स्पर्श नहीं करती है, हमेशा ऊंची रहती है तो ऐसे व्यक्ति को जीवन में कई बार धोखे मिलते हैं।
– अगर किसी महिला के बाएं पैर की छोटी उंगली जमीन से ऊपर रहती है, जीवन में बार-बार धोखा मिलता है। ऐसी उंगली वाले स्त्री-पुरुष के जीवन में जब बुरा समय आता है तो इनके करीबी लोग इन्हें छोड़ देते हैं।
– जो लोग अपनी पलकें बहुत जल्दी-जल्दी झपकाते हैं, उन्हें मानसिकता स्थिरता नहीं मिल पाती है। ऐसे लोग किसी भी तरह अपना स्वार्थ सिद्ध कर लेते हैं।
– जो लोग बहुत कम पलकें झपकाते हैं, वे दूसरों के मन की बात समझने वाले होते हैं। ऐसे लोग शांत मन वाले और ध्यान करने वाले होते हैं। ये एक शुभ संकेत है।
– जिन लोगों की नाक तोते के समान दिखाई देते हैं, वे हर काम में सफलता हासिल करते हैं। ये लोग दूसरों के मन की बात समझ लेते हैं। इन्हे जीनप में राजसुख पमिलता है।
– अगर किसी पुरुष के हाथ में अंगूठे के पीछे बाल हैं तो ये शुभ संकेत है। ऐसे लोगों का दिमाग तेज चलता है। भविष्य में कई उपलब्धियां हासिल करते हैं। स्त्रियों के संबंध में ये अशुभ संकेत माना गया है। ऐसी औरत को जीवन में दुखों का सामना करना पड़ता है।
– जिन लोगों के पैरों का तलवा कोमल और गुलाबी दिखाई देता है, वे जीवन में सभी सुख-सुविधा प्राप्त करते हैं।
– अगर किसी व्यक्ति के पैरों का तलवा काला है या राख के समान रंग वाला है तो ये अशुभ संकेत माना जाता है। ऐसे लोग जीवनभर कड़ी मेहनत करते रहते हैं।
क्या है समुद्र शास्त्र
– समुद्र शास्त्र की रचना समुद्र ऋषि ने की थी इसी कारण इसे उन्ही के नाम से जाना गया।
– इसमें शारीरिक बनावट के आधार पर व्यक्ति के स्वभाव और भविष्य के बारे में पता लगाने के बारे में लिखा हुआ है।
– यह अब अपने मूल रूप में नहीं मिलता लेकिन भविष्य और गरूण पुराण कई पुराणों और शास्त्रों में इसका वर्णन मिलता है।