July 4, 2024     Select Language
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19 मिनिट की वीडियो ने खोला चीन के सबसे बड़े झूट का पोल, मिला अब तक का सबसे बड़ा सबूत

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कोलकाता टाइम्स :चीन के काले कारनामे एक खुफिया कैमरे में कैद हो गए हैं. अब पूरी दुनिया में इन्हें देखा जा रहा है. चीन के ही रहने वाले एक कार्यकर्ता ने चीन के उन नजरबंदी शिविरों का खुलासा किया है, जहां वास्तव में यातनाएं दी जाती हैं. गुआन गुआन नामक इस कार्यकर्ता ने करीब 19 मिनट का वीडियो रिकॉर्ड किया है. वह चीन के उरुमची शहर में एक पर्यटक के तौर पर आए थे. ये एक ऐसी जगह है, जहां पर्यटक आने से डरते हैं. इस दौरान गुआन ने अपने बैग में एक खुफिया कैमरा फिट किया. जिसके जरिए उन्होंने देश की कम्युनिस्ट सरकार द्वारा चलाए जा रहे यातना शिविरों की रिकॉर्डिंग कर ली.

इस बहादुर कार्यकर्ता ने दुनिया के सबसे क्रूर री-एजुकेशन शिविरों, निगरानी केंद्रों और जेलों के बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश किया है. डेलीमेल की रिपोर्ट के अनुसार, ये शिविर शिंजियांग प्रांत में हैं, जहां उइगर मुस्लिम रहते हैं. इन लोगों के साथ चीन खूब अत्याचार करता है. जिसके चलते पूरी दुनिया में उसकी आलोचना हो रही है. गुआन जानते थे कि अगर उन्हें पुलिस ने पकड़ लिया, तो कड़ी से कड़ी सजा मिल सकती है. लेकिन फिर भी उन्होंने अपने इस मिशन को पूरा किया. ऐसा अनुमान है कि चीन ने 20 लाख उइगर मुस्लिमों को नजरबंद करके रखा हुआ है. गुआन दो साल से इन शिविरों से जुड़ी जानकारी जुटाने के लिए यहां घूम रहे हैं.

उन्हें पता चला है कि स्कूलों में उइगरों की भाषा प्रतिबंधित है. जब गुआन को पता चला कि विदेशी पत्रकारों को यहां किसी तरह की खोजबीन नहीं करने दी जाती, तो उन्होंने मामले का खुलासा करने का फैसला लिया. अपने जीवन को खतरे में डाल गुआन ने 8 शहरों में जाकर वहां मौजूद 18 शिविरों का पता लगाया. इनमें ऐसे बड़े शिविर भी शामिल हैं, जो 1000 यार्ड तक फैले हुए हैं. वह ‘श्रम के माध्यम से सुधार’ जैसे नारों से गूंज रहे थे. इनमें से कई शिविरों का मैप पर नामोनिशान नहीं है. लेकिन उन्होंने कंटीले तारों, गार्ड टावरों, पुलिस की चौकियों, सेना की बैरक, सेना के वाहनों और जेल के अंदर की दीवारों को रिकॉर्ड कर लिया है.

गुआन ने वीडियो रिकॉर्ड करने के बाद यूट्यूब पर जारी किया. इस 19 मिनट के वीडियो ने चीन के सबसे बड़े झूठ से पर्दा हटाया है. गुआन ने शिविरों का पता लगाने के लिए एक रिपोर्ट में इस्तेमाल की गई सैटेलाइट तस्वीरों की मदद ली थी. अपने मिशन के दौरान, गुआन को इस बात का डर था कि अगर वह पकड़े जाते हैं, तो उन्हें भी उन्हीं शिविरों में भेज दिया जाएगा, जिन्हें वह रिकॉर्ड करने आए थे

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