January 31, 2025     Select Language
KT Popular धर्म साहित्य व कला

चंदन भी अकुला गया, देख जड़ों में नाग !!

[kodex_post_like_buttons]
आँखों का पानी मरा, भरा मनों में पाप !
प्रेम भाव गायब हुए, अपनापा अभिशाप !!
★★★★
दरपन रूठे से लगे, सूने हैं घर द्वार !
तकरारें दीवार से, आँगन पड़ी दरार !!
★★★★
हुआ विरोधी आचरण, लज्जा कोसों दूर !
हुई कामना निरंकुश, ईर्ष्या है भरपूर !!
★★★★
पैसों से रिश्तों जुड़े, देंगे क्या बलिदान !
वक्त पड़े मुहँ मोड़ते, भरें शत्रु के कान !!
★★★★
पाँव बढ़े है बैर के, नहीं खून अहसास !
जलते रहते स्वयं में, कलुषित मन मधुमास !!
★★★★
बिगड़ गए है स्वर सभी, कौन सुनाये राग !
चंदन भी अकुला गया, देख जड़ों में नाग !!
★★★★
चैन छीनते और का, नहीं उन्हें है चैन !
चाह अलगाव की लिए, कटती जिनकी रैन !!
★★★★
तनहा भीतर से पड़े, बाहर कहे मुठभेड़ !
केवल नाम के शेर ही, तकते चरती भेड़ !!

डॉo सत्यवान सौरभ, 

Related Posts