July 3, 2024     Select Language
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बताइये तो क्या है LGBT के Q और I का मतलब?

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कोलकाता टाइम्स :
मलैंगिकता का अर्थ किसी व्यक्ति का समान लिंग के लोगों के प्रति यौन और रोमांसपूर्वक रूप से आकर्षित होना है। वे पुरुष, जो अन्य पुरुषों के प्रति आकर्षित होते है उन्हें “पुरुष समलिंगी” या गे और जो महिला किसी अन्य महिला के प्रति आकर्षित होती है उसे आमतौर पर “महिला समलिंगी” या लैस्बियन कहा जाता है। जो लोग महिला और पुरुष दोनो के प्रति आकर्षित होते हैं उन्हें उभयलिंगी कहा जाता है। कुल मिलाकर समलैंगिक, उभयलैंगिक और लिंगपरिवर्तित लोगो को मिलाकर एल जी बी टी (LGBT) समुदाय बनता है।

सुप्रीम कोर्ट ने तीसरे लिंग को मान्यता तो दे दी, पर अक़्सर लोगों को ये साफ नहीं होता कि खुद को L, G, B, T, I, Q कहने वाले लोग कौन हैं और कैसे एक दूसरे से फ़र्क हैं।

L – ‘लेस्बियन’: जब एक औरत को एक और औरत से ही प्यार हो तो उन्हें ‘लेस्बियन’ कहते हैं।

आम तौर पर माना जाता है कि किन्हीं दो ‘लेस्बियन’ पार्टनर्स में एक का व्यक्तित्व आदमी जैसा होगा जिसे ‘बुच’ कहा जाता है। वो पैंट-शर्ट पहनती होगी और छोटे बाल रखना पसंद करेंगी। दूसरी पार्टनर की शख़्सियत औरत जैसी होगी जिसे ‘फेम’ कहा जाता है। वो स्कर्ट-सूट-साड़ी पहनती होगी और लंबे बाल रखना पसंद करेंगी।

पर ये पुरानी सोच है। किन्हीं दो ‘लेस्बियन’ पार्टनर्स में कैसी भी शख़्सियत हो सकती है, एक को आदमी जैसी और एक का औरत जैसी होना ज़रूरी नहीं है।

G – ‘गे’: जब एक आदमी को एक और आदमी से ही प्यार हो तो उन्हें ‘गे’ कहते हैं।

वैसे ‘गे’ शब्द का इस्तेमाल कई बार सभी समलैंगिकों यानी पूरे समुदाय, जिसमें ‘लेस्बियन’, ‘गे’, ‘बाइसेक्सुअल’ सभी शामिल हैं, के लिए भी किया जाता है।

B – ‘बाईसेक्सुअल’: जब किसी मर्द या औरत को मर्द और औरत दोनों से ही प्यार हो तो उन्हें ‘बाईसेक्सुअल’ कहते हैं।

यानी एक मर्द ‘बाईसेक्सुअल’ हो सकता है और एक औरत भी। दरअसल एक इंसान की शारीरिक चाहत तय करती है कि वो L, G, B है। वहीं एक व्यक्ति का शरीर, यानी उनके जननांग तय करते हैं कि वो T, I, Q है।

T – ‘ट्रांसजेंडर’: वो इंसान जिनका शरीर पैदा होने के व़क्त कुछ और था और जब वो बड़े होकर खुद को समझे तो एकदम उलट महसूस करने लगे।

मसलन, पैदा होने के वक्त बच्चे के निजी अंग पुरुषों के थे और उसे लड़का माना गया। पर समय के साथ उसने खुद को समझा और पाया कि वो तो लड़की जैसा महसूस करते हैं, यानी वो ‘ट्रांसजेंडर’ हैं।
उसी तरह से पैदा होने के वक्त बच्चे के निजी अंग औरतों के थे और उसे लड़की माना गया। पर समय के साथ जब उसने खुद को समझा और पाया कि वो तो लड़का जैसा महसूस करते हैं, तो वो ‘ट्रांसजेंडर’ हैं।

I – ‘इंटर-सेक्स’: पैदाइश के वक्त जिस व्यक्ति के निजी अंगों से ये साफ़ नहीं होता कि वो पुरुष हैं या औरत, उन्हें ‘इंटर-सेक्स’ कहते हैं।

डॉक्टर को उस वक्त जो सही लगता है उस बच्चे को उसी लिंग का मान लिया जाता है और वैसे ही बड़ा किया जाता है।

बड़े होने के बाद जब उस इंसान को समझ में आ जाए कि वो कैसा महसूस करता है, वो खुद को आदमी, औरत या ‘ट्रांसजेंडर’, कुछ भी मान सकता है।

Q – ‘क्वीयर’: जो इंसान ना अपनी पहचान तय कर पाए हैं ना ही शारीरिक चाहत, यानी जो ना खुद को आदमी, औरत या ‘ट्रांसजेंडर’ मानते हैं और ना ही ‘लेस्बियन’, ‘गे’ या ‘बाईसेक्सुअल’, उन्हें ‘क्वीयर’ कहते हैं।
‘क्वीयर’ के ‘Q’ को ‘क्वेश्चनिंग’ भी समझा जाता है यानी वो जिनके मन में अपनी पहचान और शारीरिक चाहत पर अभी भी बहुत सवाल हैं।

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