पेगासस जासूसी : टुटा ममता का मोदी को घेरने का सपना, SC ने पश्चिम बंगाल आयोग पर लगाया रोक
कोलकाता टाइम्स :
सुप्रीम कोर्ट ने आज शुक्रवार को पेगासस जासूसी मामले पर सुनवाई करते हुए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा जांच के लिए गठित जस्टिस मदन बी लोकुर की अगुवाई वाले आयोग की कार्रवाई पर रोक लगा दी है. साथ ही मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमन्ना ने वकील अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा, कि आप बताइए कि राज्य द्वारा गठित आयोग ने कार्रवाई कैसे शुरू कर दी.
पेगासस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख तेवर अपनाते हुए पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस भी जारी किया और चार सप्ताह में जवाब तलब किया है. सुप्रीम कोर्ट ने आज शुक्रवार को पेगासस मामले में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा जांच के लिए गठित जस्टिस मदन बी लोकुर के नेतृत्व वाले आयोग की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए पश्चिम बंगाल सरकार और आयोग को नोटिस भी जारी कर दिया.
सीजेआई एनवी रमन्ना के नेतृत्व वाली पीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा कि आप बताइए कि राज्य द्वारा गठित आयोग ने कार्रवाई कैसे शुरू कर दी. जवाब में सिंघवी ने कहा, मैंने आश्वासन दिया था कि आपके फैसले तक आयोग काम नहीं करेगा. लेकिन इस मामले में आयोग ने फैसला आने के बाद काम शुरू कर दिया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आयोग की कार्रवाई पर रोक लगा दी.
पेगासस जासूसी के आरोपों की जांच के लिए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा जांच आयोग के गठन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई कर रहा था. याचिकाकर्ता एनजीओ की ओर से पेश वकील ने कल गुरुवार को प्रधान न्यायाधीश एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया था. वकील ने पीठ से कहा कि आयोग इस तथ्य के बावजूद जांच आगे बढ़ा रहा है कि शीर्ष अदालत ने मामले में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया है कि वह जांच आगे नहीं बढ़ाएगी. एनजीओ ग्लोबल विलेज फाउंडेशन चैरिटेबल ट्रस्ट’ की ओर से पेश वकील ने मामले में तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया.
शीर्षस्थ अदालत ने भारत में कुछ लोगों की निगरानी के लिए कथित तौर पर इजरायली स्पाइवेयर पेगासस के उपयोग की जांच के लिए 27 अक्टूबर को साइबर विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय समिति गठित की थी. जबकि 26 जुलाई को पश्चिम बंगाल सरकार ने कथित पेगासस जासूसी मामले की जांच का आदेश दिया था.