बसने के सालों बाद अपना रूप दिखाता है यह जानलेवा बीमारी
कोलकाता टाइम्स :
भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक ने दावा किया है कि लोगों को कैंसर के बारे में पता लगने में सालों लग जाते हैं। उन्हें अपनी बीमारी के बारे में पता लगने के कई सालों पहले से और कई मामलों में एक दशक से उनके भीतर ट्यूमर होता है, पर फिर भी रोगी को यह पता नहीं होता कि वह कैंसर सी पीडि़त है।
फिलहाल कैंसर का पता लगाने के लिए की जाने वाली रक्तजांच में कैंसर कोशिकाओं द्वारा खून में छोड़े गए पदार्थ की मात्रा का उपयोग किया जाता है। अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर संजीव गंभीर की नेतृत्व में हुए नए अनुसंधान के परिणाम में यह बात सामने आयी है कि कैंसर कोशिकाओं को ट्यूमर के रूप में विकसित होने और रक्त में परीक्षण में आने लायक विशेष पदार्थ छोड़ने में सालों लग सकते हैं।
कई बार तो इसमें एक दशक से भी ज्यादा का समय लग जाता है। डेली टेलीग्राफ की खबर के मुताबिक, ट्यूमर कोशिकाओं द्वारा रक्त में छोड़े गए पदार्थ का निर्माण स्वस्थ मानव शरीर में भी होता है और इसकी मात्रा जांच में आने लायक होने में सालों गुजर जाते हैं। अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि कैंसर की जांच के लिए और बेहतर तकनीक विकसित करने की जरूरत है।