ऐसे आएगी घर में सुख-शांति
कोलकाता टाइम्स :
यदि आप सपनों का घर बना रहे हैं और चाहते हैं कि वह आपके लिए सौभाग्यशाली हो, तो इसके लिए हिंदू धर्म ग्रंथों में वास्तुशास्त्र के अनुसार कुछ विधान बताए गए हैं। इसके अनुसार बनाया गया घर सब प्रकार के सुख, धन-संपदा, बुद्धि, शांति और प्रसन्नता प्रदान करने वाला और ऋणों से मुक्ति दिलाता है।
घर में मंदिर
पूर्व-उत्तर दिशा अर्थात ईशान कोण में चूंकि ईश्वर का वास होता है अत: उस दिशा में घर में मंदिर बनाना चाहिए, लेकिन घर के मंदिर में किसी देवता की प्राण प्रतिष्ठा नहीं होनी चाहिए।
ड्राइंग रूम
ईशान कोण में ड्राइंग रूम का निर्माण किया जा सकता है। ईशान कोण और पूर्व दिशा नीची होनी चाहिए। इस दिशा में स्नानागार बनाना उत्तम रहता है। ईशान कोण और पूर्व उत्तर दिशा को ज्यादा से ज्यादा खुला रखना चाहिए। ईशान कोण में यदि पानी की बोरिंग या भूमिगत जल का स्थान हो तो सोन पे सुहागा।
शयन कक्ष
पश्चिम-दक्षिण की दिशा में घर के मुखिया का शयन कक्ष होना चाहिए। इसमें मंदिर नहीं होना चाहिए। शयन कक्ष में बिस्तर के सामने शीशा न हो। घर की तिजोरी दक्षिण दिशा में रखें जो ऊपर उत्तर की ओर खुलती हो।
रसोई घर
आग्नेय कोण अर्थात दक्षिण पूर्व की दिशा में रसोई घर बनाना अति उत्तम होता है। रसोईघर का दरवाजा हमेशा उत्तर या पूर्व में होना चाहिए। खाना हमेशा उसी दिशा में परोसकर निकालें। इससे घर के लोगों की सेहत ठीक रहती है।
मुख्य द्वार
गृह के मुख्य द्वार को शास्त्र में गृहमुख माना गया है। यह परिवार व गृहस्वामी की शालीनता, समृद्धि व विद्वत्ता दर्शाता है। इसलिए मुख्यद्वार को हमेशा अन्य द्वारों की अपेक्षा प्रधान, बड़ा व सुसज्जित रखने की प्रथा रही है। मुख्यद्वार चार भूजाओं की चौखट वाला होना अनिवार्य है। इसे दहलीज भी कहते हैं। यह भवन में निवास करने वाले सदस्यों में शुभ व उत्तम संस्कार का संगरक्षक व पोषक है।
खिड़कियां और दरवाजे
घर के खिड़कियां और दरवाजे अधिकतर पूर्व और उत्तर दिशा में होना चाहिए, पश्चिम और दक्षिण दिशा में जरूरत पड़ने पर ही खोलें अन्यथा नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश करती है। घर की सीढ़ियां उन्नति का द्वार होती हैं। इनकी संख्या सम ने होकर विषम में होनी चाहिए। पानी की टंकी पश्चिम उत्तर या पूर्व में हो सकती है।