दावा, अब संक्रमण को शायद ही रोक पाए एंटीबायोटिक दवाएं, जीवन ले सकती है रोजमर्रा जीवाणु संक्रमण
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कोलकाता कोलकाता :
रोगाणुरोधी प्रतिरोध दुनिया भर में तेजी से फैल रहा है और इसकी तुलना अगली महामारी से भी की जा रही है. यह कुछ ऐसा हो रहा है जिसके बारे में बहुत से लोग जानते भी नहीं हैं. लैंसेट में प्रकाशित एक हालिया पेपर से पता चला है कि रोगाणुरोधी प्रतिरोधी संक्रमणों के कारण 2019 में 12 लाख 70 हजार मौतें हुईं और यह 49 लाख 50 हजार लोगों की मौत से किसी न किसी तरह से जुड़ा था. यह उस वर्ष संयुक्त रूप से एचआईवी / एड्स और मलेरिया से मरने वालों की संख्या से भी अधिक है. रोगाणुरोधी प्रतिरोध तब होता है जब संक्रमण पैदा करने वाले रोगाणु (जैसे बैक्टीरिया, वायरस या कवक) उन्हें मारने के लिए तैयार की गई दवा का प्रतिरोध करने के लिए विकसित होते हैं. इसका मतलब यह हुआ कि एंटीबायोटिक अब उस संक्रमण के इलाज के लिए काम नहीं करेगा.
नए निष्कर्ष से यह पता चलता है कि रोगाणुरोधी प्रतिरोध पिछले सबसे खराब स्थिति के अनुमानों की तुलना में तेजी से आगे बढ़ रहा है जो सभी के लिए चिंता का विषय है. साधारण तथ्य यह है कि हमारे पास काम करने वाली एंटीबायोटिक दवाएं खत्म हो रही हैं. इसका मतलब यह हो सकता है कि रोजमर्रा के जीवाणु संक्रमण फिर से जीवन के लिए खतरा बन जाए. 1928 में पेनिसिलिन की खोज के बाद से रोगाणुरोधी प्रतिरोध एक समस्या रहा है, एंटीबायोटिक दवाओं के हमारे निरंतर संपर्क ने बैक्टीरिया और अन्य रोगजनकों को शक्तिशाली प्रतिरोध विकसित करने में सक्षम बनाया है.