November 23, 2024     Select Language
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पहले सीजेरियन जहर सहने वाला बेबी थे यह राजा 

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कोलकाता टाइम्स :

भारत दुनिया का ऐसा देश है जिसने दुनिया को जीरो के साथ-साथ कई अहम आविष्‍कारों से परीचित कराया। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि भारत दुनिया का वह देश भी है जहां पर पहले सीजेरियन बेबी ने जन्‍म लिया था। जी हां, 320 बीसी के दौरान मौर्य वंश के पहले शासक चंद्रगुप्‍त मौर्य के बेटे और इस वंश के दूसरे शासक बिंदुसार मौर्य दुनिया के पहले सीजेरियन बेबी थी। इसका श्रेय किसी और को नहीं बल्कि राजनीति और अर्थशास्‍त्र के गुरु चाणक्‍य को जाता है।

बिंदुसार के शासन का समय इतिहास में 320 बीसी से 273 बीसीई तक दर्ज है। बिंदुसार ही सम्राट अशोक के पिता थे और उनके शासनकाल में मौर्य वंश ने एक नया सूरज देखा था।

बिंदुसार ने अपना साम्राज्‍य दक्षिण मैसूर तक बढ़ा लिया था और उन्‍होंने देश के 16 राज्‍यों पर जीत हासिल की थी। सिर्फ एक राज्‍य उनके साम्राज्‍य से बाहर था जिसे उस समय कलिंग और अब आप ओडिशा के नाम से जानते हैं। कलिंग को उनके बेटे सम्राट अशोक ने जीता था। आइए आपको बिंदुसार और उनके जन्‍म से जुड़े रोचक तथ्‍यों के बारे में बताते हैं। बिंदुसार की मां का नाम महारानी द्रुधारा के बेटे थे। जैन साहित्‍य के मुताबिक चंद्रगुप्‍त के गुरु और राजनीतिक सलाहकार चाणक्‍य उन्‍हें खाने में जहर की कुछ बूंदे मिलाकर देते थे। उस समय विषकन्‍याओं की वजह से राजाओं के साम्राज्‍य को हथियाने की परंपरा थी और चंद्रगुप्‍त को जहर सहने के लायक बनाने के लिए चाणक्‍य ऐसा करते थे।

पत्‍नी ने खाया जहर वाला खाना चंद्रगुप्‍त, चाणक्‍य के इस राज से अनजान थे और एक दिन उन्‍होंने अपनी पत्‍नी को भी अपना खाना, खाने के लिए दे दिया। उनकी पत्‍नी उस समय गर्भवती थीं और बस सात दिनों के बाद बिंदुसार का जन्‍म होने वाला था। 2000 साल पहले हमसे हाईटेक थे इंसान? धातु की मदद से किया था सिर का ऑपरेशन, मिला सबूत बिंदुसार का जन्‍म बिंदुसार की मां द्रुधारा पति की तरह जहर नहीं सह सकती थी और नतीजा कुछ ही मिनटों के अंदर उनकी मौत हो गई थी। चाणक्‍य उसी समय उनके कमरे में आए। उन्‍होंने उनका पेट चीरा ताकि गर्भ में मौजूद बच्‍चे को बचाया जा सके। चाणक्‍य ने तुरंत बच्‍चे को इस तरह से गर्भ से बाहर निकाला।

जब तक चाणक्‍य ने बच्‍चे को गर्भ से बाहर निकाला, जहर की एक बूंद उसके सिर तक पहुंच चुकी थी। इसकी वजह से बच्‍चे के सिर पर एक स्‍थायी बिंदु जैसी आकृति बन गई थी। इसी वजह से नवजात शिशु का नाम बिंदुसार रखा गया।

तमिल के कुछ कवियों में मौर्य वंश के शासकों की ओर से उनकी धरती पर कब्‍जे का जिक्र मिलता है। बिंदुसार मौर्य साम्राज्‍य को आगे बढ़ाने के लिए भारत के हर कोने-कोने तक पहुंचे और उन्‍हें हराना दुश्‍मनों के लिए काफी मुश्किल और चुनौतीपूर्ण कार्य साबित हो रहा था। बिंदुसार ने बलूचिस्‍तान से लेकर अफगानिस्‍तान के कुछ हिस्‍से को भी अपने कब्‍जे में कर लिया था।

पुरातनों के मुताबिक चंद्रगुप्‍त मौर्य को हमेशा बिंदुसार की क्षमताओं पर शक रहता था। उन्‍हें लगता था कि उनका बेटा कभी भी एक महान राजा नहीं बन सकता। न तो कभी उसकी पत्‍नी होगी और न ही वह अपना साम्राज्‍य चला पाएगा। वहीं इतिहास के जानकार आज भी कहते हैं कि अपने पिता और बेटे की वजह से बिंदुसार का जिक्र इतिहास में दब गया।

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