October 5, 2024     Select Language
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US का कवच चुरा चीन बना दुनिया का पहला बॉडी शील्ड बनाने वाला 

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कोलकाता टाइम्स :

चीन ने सैनिकों को कवच-भेदी हथियारों से बचाने के लिए दुनिया की पहली हल्की और लचीली बॉडी शील्ड बनाने का दावा किया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ‘आर्मर-पियर्सिंग इंसेन्डियरी’ की गोलियों के तीन राउंड को इस बॉडी शील्ड पर शूट किया गया. इस दौरान बंदूक के जरिए बॉडी शील्ड पर पॉइंट-ब्लैंक रेंज (15 मीटर या 50 फीट तक) से शूट किया गया था. लेकिन इन गोलियों को कवच में छेद करने में कामयाबी नहीं मिली. 7.62 मिमी API बुलेट मूल रूप से टैंकों को नष्ट करने के लिए डिजाइन किए गए थे. लेकिन अब इनका इस्तेमाल कवच को भेदने के लिए किया जाता है.

हुनान यूनिवर्सिटी में सिविल इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रमुख प्रोजेक्ट साइंटिस्ट प्रोफेसर झू देजू ने कहा कि एक बार जब गोली बॉडी शील्ड पर लगी, तो इसकी ऊर्जा खत्म हो गई. इसके साथ ही ये बिना किसी निशान के गायब हो गई. गोलियों की वजह से बॉडी शील्ड के पीछे की रबर की दीवार पर निशान देखने को मिला. ये निशान 20 मिमी तक गहरे थे. यहां गौर करने वाली बात ये है कि इस डिजाइन को अमेरिकी सेना द्वारा अप्रूव नहीं किया गया था. वहीं, चीन ने इस आइडिया का इस्तेमाल करते हुए अब दुनिया का पहला बॉडी शील्ड को तैयार कर लिया है.

अमेरिका की पिनाकल आर्मर नामक एक कंपनी ने साल 2000 के करीब में स्केल टाइप कवच को तैयार किया, जो तीन एक-47 गोलियों को झेल सकता था. हालांकि, अमेरिका सेना को कंपनी के साथ सौदा करने से ठीक पहले पता चला कि युद्ध के समय इसमें छेद होने की संभावना अधिक थी. सेना ने 48 राउंड गोलियां चला कर पाया कि 13 गोलियां इस बॉडी शील्ड को भेदने में सक्षम हुईं. इसके अलावा, अधिक तापमान, पसीना और रेगिस्तान जैसे खतरनाक वातावरण में इस बॉडी शील्ड को जोड़कर रखने वाले स्केल (टुकड़े, जिन्हें मिलाकर इसे बनाया गया) कमजोर होकर बिखरने लगते. इस वजह से अमेरिका ने इस डिजाइन को नहीं अपनाया.

झू देजू की टीम के मुताबिक, ग्रास कार्प नामक एक ताजे पानी की मछली से प्रभावित होकर स्केल कवच को तैयार किया गया है. ग्रास कार्प मछली के स्केल को काटना या भेदना मुश्किल होता है. इस वजह से ये मछली शिकारियों के जबड़े से सुरक्षित निकल जाती है. इसके बाद टीम ने एक हल्का कवच तैयार किया, जो पिस्तौल की गोली को झेल सकता था. लेकिन API गोलियों को झेलना काफी जटिल था, क्योंकि गोली कवच में बहुत तेजी से घुस गई

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