गोलियाँ ऐसे तो नहीं खाते ? बज गयी खतरे की घंटी
कोलकाता टाइम्स :
अगर आप अपनी दवा की गोली तोड़ कर खाते हैं, तो सावधान. ऐसा एक शोध का कहना हैं.बेल्जियम के घेंट विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का कहना है कि इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं.सबसे ज़्यादा ख़तरा उन दवाओं से है, जिन दवाओं में बीमारी ठीक करने लायक ख़ुराक और इसके सेहत के लिए ख़तरनाक होने के बीच बहुत कम फ़र्क है.ये शोध जरनल ऑफ़ एडवांस्ड नर्सिंग में प्रकाशित की गई है. जानें क्यों होते हैं मेन्स्ट्रुअल एक्ने, इन उपाय से पाएं छुटकारा
घेंट विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाँच वॉलंटियर्स को आठ अलग-अलग आकार की गोलियां दी थी और उनसे इन्हें तीन तरीक़े से तोड़ने को कहा था.इस शोध में सम्मिलित सभी लोगों ने गोली तोड़ने के लिए बने एक विशेष औज़ार, चाकू और कैंची का इस्तेमाल करके तीन तरीक़ों से गोलियाँ तोड़ी.शोधकर्ताओं को पता चला कि 31 प्रतिशत गोलियाँ ऐसे तोड़ी गई कि दवा के दूसरा हिस्से में दवा की जितनी ख़ुराक होनी चाहिए, वो उससे कहीं कम थी. शोध से ये भी पता चला कि सबसे कारगर था फिर भी 13 प्रतिशत मामलों में इसमें ग़लतियाँ हुईं.इनमें कई बीमारियों जैसे हृदय रोग, पारकिन्संस, गठिया जैसे रोगों में दी जाने वाली गोलियाँ थी.शोध का नेतृत्व कर रही डॉ. चारलोट वेर्यु का कहना हैं कि दवाओं को तोड़ने के कई कारण हो सकते हैं.
उन्होंने बताया, “ये कई कारणों से होता है, ताकि आप अपनी ख़ुराक में लचीलापन ला पाएं, ताक़ि आप गोलियों को आसानी से निगल पाएं या फिर ताकि आप अपनी दवा पर कम ख़र्च कर सके. लेकिन होता ये है कि दवाओं को तोड़ने से दोनों भाग बराबर नहीं रहते और थोड़ी दवा तोड़ने के क्रम में टूट कर गिर भी जाती है.” उनका कहना था कि ज़्यादातर दवा तोड़ने के लिए ठीक नहीं होती.डॉ. चारलोट ने कहा, “हम चाहते हैं कि दवा निर्माता कंपनियाँ कई तरह की ख़ुराक बनाएँ या फिर तरल दवा बनाएं ताकि गोली तोड़ने की ज़रूरत ही न पड़े.”लेकिन एक दवा विक्रेता नीना बारनेट कहतीं हैं कि दूकानदार कभी-कभी दवा तोड़ने को कहते हैं, लेकिन वो ऐसा तभी कहते हैं जब ये बहुत ज़रूरी हो.