पसीने का एंटीबायोटिक, ठीक होगा खतरनाक बीमारी भी
शोधकर्ताओं के अनुसार, जब शरीर से पसीना निकलता है तो डर्मसीडिन नामक पदार्थ का भी स्त्राव होता है। यह डर्मसीडिन कटने, खरोंच लगने या किसी कीड़े के काटने पर जीवाणुओं से सुरक्षा प्रदान करता है। वैज्ञानिकों ने इस पदार्थ की आणविक संरचना का भी पता लगा लिया है।
यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग के शोधकर्ता यूलरिक जकारी के मुताबिक, एंटीबायोटिक केवल दवा की दुकानों पर ही नहीं मिलते, हमारा शरीर भी कई तरह के एंटीबायोटिक से लैस होता है जो प्राकृतिक रूप से शरीर की रक्षा करते हैं। अब जबकि इनकी संरचना का पता चल गया है तो इसका विभिन्न प्रकार के एंटीबायोटिक बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है। प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक मानव शरीर में करीब 17 सौ प्राकृतिक एंटीबायोटिक मौजूद हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक ये प्राकृतिक एंटीबायोटिक कृत्रिम एंटीबायोटिक की तुलना में ज्यादा कारगर और प्रभावी होते हैं। इन्हें एंटीमाइक्त्रोबियल पेप्टाइड्स (एएमपीएस) के नाम से जाना जाता है। यह एएमपीएस जीवाणु पर हमला करके उसे नष्ट कर देता है, जिससे जीवाणु के विकास की संभावना लगभग समाप्त हो जाती है।