इसे जुबान से लगते ही भगवान का आशीष सीधे आपके सर
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हिंदू धर्म की कोई भी पूजा बिना चरणामृत या पंचामृत के पूरी नहीं होती है लेकिन हम में से काफी कम लोग इसकी महत्व के बारे में जानते होंगे।
आईये आज हम आपको बताते हैं चरणामृत या पंचामृत के बारे में खास बातें..
चरणामृत का मतलब होता है भगवान के चरणों का अमृत, जिसे कि हम पूजा के भोग लगाते समय पाते हैं। पंचामृत का मतलब होता है पांच अमृत यानि पांच पवित्र वस्तुओं से मिलकर बना अमृत, जो कि पंच मेवा से ( पांच तरह के मेवा) से मिलकर बनता है। चरणामृत का सेवन करने से इंसान में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
मान्यता है कि चरणामृत का सेवन करने से भगवान का आशीष सीधे तौर पर भक्त को मिल जाता है और उसके सारे कष्टों का निपटारा हो जाता है।
चरणामृत हमेशा दाएं हाथ से लेना चाहिए ताकि वो आपको स्थिर कर सके।
चरणामृत से हेल्थ को फायदा मिलता है, इसके पंच मेवा, दूध, दही, तुलसी, घी, शहद, शकरऔर गंगा जल इंसान को शारीरिक और मानसिक सुख देते हैं।
चरणामृत के दूध से मतलब इंसान को हमेशा विचारों से शुद्द होना चाहिए तो दही का मतलब सदगुण से होता है ,घी से मतलब स्नेह और शहद-शक्कर का मतलब मीठापन और शक्ति से होता है। अगर उपरोक्त चीजें इंसान के अंदर है तो उसे कभी भी किसी भी रिलेशन में कोई तकलीफ नहीं होती है।