November 23, 2024     Select Language
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चीन के बाद यह देश भी बोला, ‘मैंने भी बनाया सूरज’

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कोलकाता टाइम्स :

चीन के बाद अब ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने ‘नकली सूरज’ बनाने की दिशा में बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है. ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने सूरज की तकनीक पर परमाणु संलयन को अंजाम देने वाला एक रिएक्टर बनाया है. ऑक्‍सफर्ड यूनिवर्सिटी के पास किए गए प्रयोग के दौरान 59 मेगाजूल ऊर्जा इस रिएक्‍टर से निकली, जो दुनिया में अपने आप में रिकॉर्ड है. इतनी मात्रा में ऊर्जा पैदा करने के लिए 14 किलो टीएनटी का इस्‍तेमाल करना पड़ता है.

इस शानदार प्रॉजेक्‍ट को ज्‍वाइंट यूरोपीयन टोरुस ने कूल्‍हाम में अंजाम दिया है. वैज्ञानिकों की इस उपलब्धि को मील का पत्‍थर करार दिया जा रहा है. इस तकनीक की मदद से सितारों की ऊर्जा का दोहन किया जा सकेगा और धरती पर सस्‍ती और साफ ऊर्जा मिलने का रास्‍ता साफ होगा. लैब ने 59 मेगाजूल ऊर्जा पैदा करके साल 1997 में बनाया गया अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया है. ब्रिटेन के परमाणु ऊर्जा प्राधिकरण ने बुधवार को इस सफल प्रयोग का ऐलान किया.

जेईटी लैब में लगाई टोकामैक मशीन दुनिया में सबसे बड़ी और सबसे शक्तिशाली है. इस मशीन के अंदर बहुत कम मात्रा में ड्यूटीरियम और ट्रीटीयम भरा गया. ये दोनों ही हाइड्रोजन के आइसोटोप हैं और ड्यूटीरियम को हैवी हाइड्रोजन कहा जाता है. इसे सूरज के केंद्र की तुलना में 10 गुना ज्‍यादा गर्म किया गया ताकि प्‍लाज्‍मा का निर्माण किया जा सके.

इसे सुपरकंडक्‍टर इलेक्‍ट्रोमैग्‍नेट का इस्‍तेमाल करके एक जगह पर रखा गया. इसके घूमने पर अपार मात्रा में ऊर्जा निकली. परमाणु संलयन से पैदा हुई ऊर्जा सुरक्षित होती है और यह एक किलोग्राम में कोयला, तेल या गैस से पैदा हुई ऊर्जा की तुलना में 40 लाख गुना ज्‍यादा ऊर्जा पैदा करती है.

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