मृत्यु के बाद पितरों की मुक्ति चाहिए तो यहां स्थापित करें शिवलिंग
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कोलकाता टाइम्स :
काशी, इस नगरी की खासियत है की भगवान शंकर सभी को मोक्ष प्रदान करते हैं। पुराणों में कहा गया है कि जब किसी इंसान की मौत होती है तो उसे काशी और बिहार के गया में पूजा और आराधना करने से मोक्ष मिलता है। लेकिन काशी में एक ऐसा स्थान है जहां पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंड दान नहीं बल्कि शिवलिंग की स्थापना की जाती है।
पुराणों की माने तो शिव नगरी में इस स्थान पर बाबा भोलेनाथ विराजमान होते हैं। जिससे मृतक को मोक्ष की प्राप्ति होती है और वो बैकुंठ को जाता है। क्या है इस पवित्र स्थान का महत्व और कैसे करते हैं शिवलिंग की आराधना?
काशी आने वाले मराठी समुदाय के लोगों कि यात्रा तभी सफल होती है जब वो इस मंदिर में भोलेनाथ के समक्ष आकर अपना शीश झुकाते हैं! वैसे तो शंकर की इस नगरी के कण-कण में महादेव विराजमान हैं लेकिन यहां शिव की आराधना करने का अलग ही महत्व है। यहां महादेव इस धरती पर भक्तों को मोक्ष देने के लिए विराजमान हैं। सदियों पुराने इस आश्रम की विशेषता ये है कि यहां महाराष्ट्र से आने वाले भक्तों की यात्रा इस पवित्र स्थान पर आने के बाद ही पूरी होती है। वहीं इस स्थान पर शिवलिग की स्थापना करने से उनके पितरों को महादेव मोक्ष प्रदान करते हैं। पुराणों की माने तो यह काशी नगरी है और बाबा भोलेनाथ यहां अपने शिव लिंग के स्थापित होने से भक्तों का उद्धार करते हैं।
लाखों तक पहुंच चुकी है यहां कुल शिवलिंगों की संख्या यह पावन स्थान मराठी शैली पर बनाया गया है। जहां पूरे परिसर में बड़े से लेकर छोटे और अलग-अलग धातुओं के शिवलिंग स्थापित किए गए हैं। कई वर्षों पहले इस मंदिर की स्थापना इस कारण हुई थी कि देवों के देव महादेव महाश्मशान पिंड दान करने के बाद अपने भक्तों को बैकुंठ ले जाते हैं। वहीं इस पवित्र स्थान पर अपने शिव लिंग को स्थापित करने वाले परिजनों के पितरों को मोक्ष प्रदान करेंगे। तब से आज तक भक्तों कि आस्था का आलम है कि हर श्रावण मास में अपने परिजनों कि आत्मा कि शांति के लिए लोग काशी आकर अपने मृतकों के नाम पर शिवलिंग स्थापित कराते हैं।
यही नहीं आज तक पूरे परिसर में कितने शिवलिंग भक्तों के आस्था का प्रतीक हैं इसका कोई रिकॉर्ड तो नहीं हैं पर मठ से जुड़े लोगों की माने तो इसकी संख्या लाखों तक पहुंच चुकी है।