May 20, 2024     Select Language
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कुर्सी हिलता देख इमरान की परछाइयों ने भी छोड़ा साथ, भागे उनके यह 3 मित्र

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कोलकाता टाइम्स :

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की कुर्सी जाना तय है. विपक्ष इमरान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया है, जिस पर 28 मार्च को वोटिंग होनी है. लेकिन माना जा रहा है कि इमरान इससे पहले ही पद छोड़ सकते हैं, क्योंकि आर्मी चीफ ने उन्हें ऐसा करने को कहा है. इस बीच, पाकिस्तान से एक और बड़ी खबर सामने आई है.

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इमरान खान के करीबियों ने पाकिस्तान छोड़ना शुरू कर दिया है. खान के पूर्व एडवाइजर शहजाद अकबर, चीफ सेक्रेटरी आजम खान और पूर्व चीफ जस्टिस गुलजार अहमद मुल्क छोड़ चुके हैं. दरअसल, इमरान के इन करीबियों को लगता है कि तख्तापलट होने के बाद इनकी मुश्किलों में इजाफा हो सकता है, इसलिए सभी पाकिस्तान छोड़कर भाग गए हैं.

शहजाद अकबर भ्रष्टाचार और आंतरिक मामलों पर इमरान के सलाहकार थे. इमरान ने उन्हें शरीफ परिवार को निशाना बनाने के काम पर लगाया था. पाकिस्तानी पीएम चाहते थे कि नवाज शरीफ और उनके परिवार को भ्रष्टाचार के मामलों में सजा दिलाई जाए. अकबर ने शरीफ परिवार को दोषी करार देने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, लेकिन अदालत ने सबूतों के अभाव में सबको बरी कर दिया. जनवरी में अचानक अकबर के इस्तीफे की खबर आई और इसके बाद वो कहीं नजर नहीं आए. अब कहा जा रहा है कि वो परिवार सहित लंदन लौट चुके हैं. दरअसल, अकबर को डर है कि सत्ता परिवर्तन के बाद शरीफ परिवार उनसे बदला ले सकता है.

चीफ सेक्रेटरी आजम खान की बात करें तो उन्हें भी निशाना बनाए जाने का डर है. कहा जाता है कि आजम के इशारों पर ही तमाम बड़े जर्नलिस्ट्स को नौकरी से निकाला गया था. इनमें हामिद मीर, सलीम साफी, असद अली तूर, आलिया शाह, रिजवान रजी और आरजू काजमी जैसे पत्रकार शामिल हैं. अब ये पत्रकार सरकार की कब्र खोदने में लगे हैं. विपक्ष के नेता मौलाना फजल-उर-रहमान भी कह चुके हैं कि आजम ने मुल्क को तबाह कर दिया है. ऐसे में माना जा रहा है कि इमरान की कुर्सी जाने के बाद आजम को अपने कर्मों की सजा मिल सकती है. इसलिए वो पिछले शुक्रवार को दुबई पहुंचे और वहां से एक प्राइवेट प्लेन से अमेरिका चले गए.

पाकिस्तान के पूर्व चीफ जस्टिस गुलजार अहमद के बारे में कई तरह की बातें कही जाती हैं. एक तरफ उन्होंने इमरान सरकार को गवर्नेंस के मुद्दे पर जमकर फटकार लगाई और सरकार चलाने के तरीकों पर भी सवाल उठाए. वहीं दूसरी तरफ, यह भी सामने आया कि वो फौज के कहने पर फैसले करते रहे. आरोप है कि अहमद ने सरकार के भ्रष्टाचार से जुड़े कई मामलों पर फैसला लटकाए रखा. अपने एक फैसले में उन्होंने यह कहकर सेना को नाराज कर दिया था कि आर्मी को जमीन मुल्क की हिफाजत के लिए दी गई है.

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